बिलासपुर रेलवे कोचिंग डिपो में बड़ा हादसा! मूलमुला निवासी क्लीनर प्रताप बर्मन एसी कोच की सफाई करते वक्त हाईटेंशन तार की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया। इलाज में देरी और अस्पतालों की अव्यवस्था ने मजदूर की हालत और बिगाड़ दी। पढ़ें पूरी खबर।

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हादसे ने रेलवे प्रशासन की लापरवाही उजागर की

रेलवे कोचिंग डिपो में शनिवार दोपहर वह दर्दनाक मंजर सामने आया जिसने फिर से रेलवे प्रशासन और ठेकेदारों की लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए। मूलमुला निवासी प्रताप बर्मन, जो एक ठेकेदार के अधीन क्लीनर के रूप में काम करता है, रोज की तरह ड्यूटी पर गया था। लेकिन इस बार की ड्यूटी उसकी जिंदगी पर भारी पड़ गई। एसी कोच की सफाई करते वक्त ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन तार ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। नतीजा यह हुआ कि प्रताप गंभीर रूप से झुलस गया और अब अपोलो अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। यह घटना न केवल मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल उठाती है बल्कि रेलवे अस्पतालों और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत भी सामने लाती है।

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कैसे हुआ हादसा

शनिवार दोपहर करीब 1 बजे प्रताप बर्मन को डिपो में एसी कोच की सफाई का काम सौंपा गया। वह कोच की छत पर चढ़ा और तभी अचानक ऊपर से गुजर रही 25 हजार वोल्ट की हाईटेंशन लाइन के संपर्क में आ गया। चश्मदीद कर्मचारियों ने बताया कि प्रताप को लगातार दो बार जोरदार करंट लगा।झटके इतने खतरनाक थे कि प्रताप कुछ देर तक छत पर तड़पता रहा और फिर नीचे गिर पड़ा। गिरने से उसके सिर, नाक और मुंह पर गंभीर चोटें आईं, साथ ही शरीर का बड़ा हिस्सा जल गया। यह दृश्य देख वहां मौजूद कर्मचारी दहशत में आ गए और किसी तरह उसे नीचे उतारकर तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

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इलाज के नाम पर लापरवाही

हादसे के बाद प्रताप को सबसे पहले रेलवे अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां न तो बर्न वार्ड था और न ही गंभीर मरीजों के इलाज के लिए जरूरी उपकरण। मजबूरी में उसे सिम्स अस्पताल रेफर किया गया।लेकिन सिम्स की हालत भी किसी से छिपी नहीं है। वहां भी बर्न वार्ड की स्थिति बेहद दयनीय थी। आखिरकार प्रताप को निजी अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत नाजुक बताई।इलाज में हुई देरी और सरकारी अस्पतालों की बदहाली ने इस मजदूर की तकलीफ को कई गुना बढ़ा दिया। सवाल यह उठता है कि आखिर हर बड़े हादसे के बाद मजदूरों को प्राइवेट अस्पतालों के भरोसे क्यों छोड़ दिया जाता है?

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