नई दिल्ली, 18 अक्टूबर 2025/
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब देश नक्सलवाद और माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त होगा। इस बार कई ऐसे क्षेत्र जहां दशकों से माओवादी हिंसा का साया था, वहां आजादी के बाद पहली बार दिवाली की रौनक देखने को मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा — “50-55 साल से जिन्होंने दिवाली नहीं देखी थी, अब वो भी खुशियों के दीए जलाएंगे। ये भी मोदी की गारंटी है।”

दिल्ली में आयोजित एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नक्सलवाद का मुद्दा न केवल देश की सुरक्षा से जुड़ा है बल्कि युवाओं के भविष्य से भी संबंध रखता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में ‘अर्बन नक्सलों’ का इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि माओवादी आतंक की घटनाओं को जनता तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता था।

प्रधानमंत्री ने कहा — “कांग्रेस के शासन में नक्सलवाद को माओवादी आतंक कहने की भी हिम्मत नहीं थी। मीडिया में सेंसरशिप थी, और जो लोग संविधान की बातें करते हैं, वही माओवादियों की रक्षा करते थे।”

माओवादी आतंक अब सिमट कर सिर्फ 11 जिलों तक रह गया

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 11 वर्ष पहले देश के करीब 125 जिले माओवादी आतंक से प्रभावित थे, लेकिन आज यह संख्या घटकर सिर्फ 11 जिलों तक रह गई है।
उन्होंने कहा — “इनमें भी तीन जिले ही अब सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। सिर्फ पिछले 75 घंटों में 303 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। कभी जिनका 303 (गोली) चलता था, आज वो 303 सरेंडर हुए हैं।”

प्रधानमंत्री ने बताया कि इन सरेंडर करने वालों में कई मोस्ट वांटेड नक्सली शामिल हैं, जिन पर एक करोड़ से लेकर 25 लाख रुपये तक के इनाम घोषित थे।

नक्सली आतंक पीड़ितों की आवाज दबाई गई

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि माओवादी आतंक के पीड़ितों की पीड़ा कभी देश के लोगों तक नहीं पहुंचाई गई। उन्होंने कहा — “हाल ही में कई पीड़ित दिल्ली आए थे, जिनके हाथ, पैर या आंखें तक चली गई थीं। लेकिन उनकी कहानी किसी ने नहीं दिखाई, क्योंकि अर्बन नक्सलियों ने सच्चाई पर पर्दा डाल रखा था।”

संविधान की बात करने वाले, माओवादियों के संरक्षक बन गए

प्रधानमंत्री ने कहा कि लाल गलियारे (रेड कॉरिडोर) में कभी सरकार की सत्ता का असर नहीं था।
उन्होंने कहा — “बाकी देश में संविधान लागू था, लेकिन माओवादी क्षेत्रों में उसकी कोई मान्यता नहीं थी। जो लोग आज माथे पर संविधान की किताब रखते हैं, वही माओवादी आतंकियों की रक्षा में लगे रहते हैं।”

बदलता बस्तर – अब विकास और खेल का प्रतीक

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक समय जब बस्तर में नक्सली आतंक की खबरें मीडिया की सुर्खियों में होती थीं, आज वहीं के नौजवान बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा — “पहले जिन इलाकों में गोली की आवाजें गूंजती थीं, आज वहां ढोल-नगाड़े और हंसी की आवाजें सुनाई देती हैं। लाखों युवा खेल के मैदान में अपनी ऊर्जा दिखा रहे हैं — यही नए भारत का बस्तर है।”

‘मोदी की गारंटी’ — अब हर गांव में रोशनी और सुरक्षा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार ने 2014 के बाद से संवेदनशीलता और रणनीति दोनों के साथ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम किया है।
उन्होंने कहा — “हमने भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में लाने की कोशिश की है, विकास को गांव-गांव तक पहुंचाया है। अब वह दिन दूर नहीं जब देश का हर कोना माओवादी आतंक से मुक्त होगा और वहां भी दिवाली के दीए जलेंगे।”

प्रधानमंत्री के इस संबोधन को देशभर में नक्सल प्रभावित इलाकों से आई बड़ी राहत की खबर के रूप में देखा जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासन के साथ जनता भी अब इस विश्वास के साथ आगे बढ़ रही है कि देश जल्द ही नक्सलवाद के इस अंधकार से पूरी तरह मुक्त होगा।

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