रायपुर।
विकासखंड धरसींवा में कार्यरत 25 शिक्षक इन दिनों गंभीर वेतन संकट से गुजर रहे हैं। महीनों की सेवा देने के बाद भी इन्हें अब तक वेतन नहीं मिल पाया है। कारण है – प्रशासनिक उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही। दरअसल, इन शिक्षकों को वेतन विकासखंड तिल्दा से जारी किया जाता है, किंतु विकासखंड धरसींवा द्वारा Pay Data अब तक तैयार कर तिल्दा को नहीं भेजा गया है। नतीजा यह है कि जुलाई तक आते-आते भी इन शिक्षकों का वेतन भुगतान नहीं हो पाया है।
यह अकेली समस्या नहीं है। हर साल यही कहानी दोहराई जाती है –
- समय पर इंक्रीमेंट नहीं जुड़ता
- सर्विस बुक में प्रविष्टियाँ अधूरी रहती हैं
- आयकर गणना पत्र सही समय पर नहीं बनता
- फॉर्म-16 भी कई बार समय पर उपलब्ध नहीं होता
शिक्षकों का कहना है कि विभागीय लापरवाही और जिम्मेदारों की निष्क्रियता के कारण उन्हें मानसिक, आर्थिक और पारिवारिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। “हम पढ़ाने आते हैं, काम करते हैं, लेकिन जब वेतन ही समय पर न मिले तो परिवार कैसे चलाएं?” एक शिक्षक ने सवाल उठाया।
क्या कहता है शिक्षा विभाग?
शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, धरसींवा और तिल्दा विकासखंडों के बीच वेतन डेटा को लेकर समन्वय की कमी लंबे समय से बनी हुई है। जबकि विभागीय प्रक्रियाएं स्पष्ट हैं, लेकिन जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारी समय पर कार्य न कर पाने के कारण स्थिति बिगड़ती जा रही है।
समाधान कब होगा?
यह सवाल हर साल उठता है और हर बार जवाब अधूरा रह जाता है। शिक्षक संघों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द वेतन भुगतान नहीं हुआ और इन प्रशासनिक खामियों को दूर नहीं किया गया तो धरना-प्रदर्शन जैसे विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
अब देखना यह है कि शिक्षा विभाग कब जागता है और धरसींवा के इन शिक्षकों को कब मिलेगा उनका हक—उनकी मेहनत का मेहनताना।