गढ़चिरौली (महाराष्ट्र)। नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रही सघन कार्रवाई के बीच सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में सोमवार को मोस्ट वांटेड नक्सली मोझुल्ला उर्फ भूपति उर्फ सोनू दादा समेत लगभग 60 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। भूपति नक्सली संगठन का बड़ा कैडर सदस्य था, जिस पर 1.5 करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। वह छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में नक्सली नेटवर्क का सक्रिय हिस्सा माना जाता था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सोनू दादा ने सरकार के समक्ष अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करने की इच्छा जताई थी। उसके इस निर्णय के बाद नक्सली संगठन के भीतर आंतरिक मतभेद और फूट की स्थिति देखने को मिली। फिलहाल, आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों से पुलिस और सुरक्षा बल पूछताछ कर रहे हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली विभिन्न रैंकों में शामिल हैं। इनमें डिवीजनल कमेटी मेंबर (DVCM) और एरिया कमेटी मेंबर (ACM) जैसे वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल हैं। इनमें से कई नक्सली पहले भी बड़ी मुठभेड़ों में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं और सुरक्षा बलों की हिट लिस्ट में शामिल रहे हैं।
इस बड़ी घटना को सरकार के नक्सल विरोधी अभियान “लोन वर्राटू” की सफलता के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि करीब 20 दिन पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में 71 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। उस समूह में 21 महिलाएं और 50 पुरुष शामिल थे, जिनमें से 30 नक्सलियों पर कुल 64 लाख रुपए का इनाम घोषित था।
इस मौके पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आत्मसमर्पण को सुरक्षा बलों की मेहनत और सरकार की सख्त नीति का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, “पूरे देश को मालूम है कि हमारे सुरक्षाबल नक्सलवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ रहे हैं और उन्हें लगातार सफलता मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का यह संकल्प है कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का पूरी तरह अंत किया जाएगा। हमें पूरा भरोसा है कि यह लक्ष्य जरूर पूरा होगा और छत्तीसगढ़, विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र में अब विकास की रफ्तार तेज होगी।”
इस आत्मसमर्पण के साथ ही यह स्पष्ट संकेत है कि नक्सलियों के बीच असंतोष और भय दोनों बढ़ रहा है। सरकार की पुनर्वास नीति और सुरक्षा रणनीति नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक साबित होती दिख रही है।

