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नई दिल्ली:
देश के आदिवासी समुदायों के बच्चों को बेहतर शिक्षा और आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। मंगलवार को जनजातीय कार्य मंत्रालय और कोल इंडिया लिमिटेड के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश और ओडिशा के 76 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) को आधुनिक तकनीक और बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा।
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इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुअल ओराम और केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी भी मौजूद रहे। दोनों मंत्रियों ने इस साझेदारी को आदिवासी छात्रों के भविष्य को संवारने वाला एक परिवर्तनकारी कदम बताया।
10 करोड़ की CSR राशि से खुलेगा विकास का नया रास्ता
इस परियोजना के तहत कोल इंडिया ने अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) निधि से 10 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इस राशि का उपयोग स्कूलों में 1,200 कंप्यूटर, यूपीएस यूनिट्स, 110 टैबलेट, 420 सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनें, 420 पैड इन्सिनरेटर और करीब 6,200 छात्रों के लिए करियर काउंसलिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में किया जाएगा।यह पहल न सिर्फ शिक्षा को डिजिटल और स्मार्ट बनाएगी, बल्कि विशेष रूप से छात्राओं के स्वास्थ्य और स्वच्छता को भी प्राथमिकता देगी।
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तकनीक, शिक्षा और सशक्तिकरण—एक साथ
जनजातीय कार्य मंत्री जुअल ओराम ने इस समझौते को एक प्रेरणादायक उदाहरण बताते हुए कहा,“कोल इंडिया की यह पहल आदिवासी बच्चों की शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगी। इससे अन्य कंपनियों को भी आदिवासी समाज के उत्थान में भागीदारी की प्रेरणा मिलेगी।”
वहीं, जी. किशन रेड्डी ने कहा,“यह समझौता कोल इंडिया के CSR प्रयासों को एक नई दिशा देता है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और आजीविका जैसे क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।”
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479 एकलव्य स्कूल, अब और होंगे सक्षम
गौरतलब है कि इस समय देशभर में 479 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल संचालित हैं, जिनका उद्देश्य आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पोषण, आवास और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह नई पहल इन स्कूलों को डिजिटल युग के अनुकूल बनाएगी और छात्रों को समग्र विकास के लिए प्रेरित करेगी।
एक नई शुरुआत की ओर…
आदिवासी समाज की प्रतिभा को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा सबसे बड़ा माध्यम है। कोल इंडिया और जनजातीय मंत्रालय की यह साझेदारी न सिर्फ शिक्षा को बढ़ावा देगी, बल्कि तकनीकी संसाधनों से लैस एक ऐसे भविष्य की नींव रखेगी, जहां हर आदिवासी बच्चा सपने देख सके, और उन्हें पूरा कर सके।
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