जशपुर, 7 अगस्त 2025।
जिले के पत्थलगांव विकासखण्ड में शिक्षा व्यवस्था को कलंकित करने वाले दो गंभीर मामलों में दो शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। एक मामला है ग्राम तिरसोंठ के प्रधान पाठक चैतराम यादव का, जिन्हें शराब पीकर स्कूल आने और लगातार अनधिकृत अनुपस्थिति के चलते निलंबित किया गया। वहीं दूसरा मामला है तेन्दूपारा के सहायक शिक्षक संजय नायक का, जिन पर उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना और स्वेच्छाचारिता के आरोप सिद्ध हुए।
पहला मामला: तिरसोंठ के प्रधान पाठक पर गंभीर आरोप
कलेक्टर श्री रोहित व्यास द्वारा ग्राम तिरसोंठ के निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों ने प्रधान पाठक चैतराम यादव की शिकायत की थी। प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार, श्री यादव ने 16 जून से 23 जून और 5 जुलाई से 8 जुलाई तक बिना पूर्व सूचना के विद्यालय से अनुपस्थिति दर्ज की। यही नहीं, 8 जुलाई को तैयार पंचनामा में यह स्पष्ट हुआ कि वे शराब सेवन कर विद्यालय आते थे। यह आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 03 का उल्लंघन है और कदाचरण की श्रेणी में आता है।
इस आधार पर श्री चैतराम यादव को छ.ग. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, बगीचा नियत किया गया है।
दूसरा मामला: आदेशों की अनदेखी पर संजय नायक निलंबित
दूसरे मामले में, शासकीय प्राथमिक शाला तेन्दूपारा के सहायक शिक्षक एल.बी. श्री संजय नायक को उनके स्वेच्छाचारित रवैये और उच्चाधिकारियों के स्पष्ट आदेशों का पालन न करने के कारण निलंबित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि 4 जून 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश द्वारा श्रीमती शालेन कुजूर को उक्त विद्यालय में पदस्थ किया गया था। इसके बावजूद श्री संजय नायक ने उन्हें विद्यालय में कार्यभार ग्रहण नहीं कराया और न ही जारी कारण बताओ नोटिस का उत्तर प्रस्तुत किया।
इस प्रकार उनका कृत्य भी सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 03 का उल्लंघन सिद्ध हुआ, जिसके आधार पर उन्हें भी नियम 9 के अंतर्गत निलंबन की कार्रवाई का सामना करना पड़ा। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय भी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, बगीचा रखा गया है।
प्रशासन सख्त,
इन दोनों मामलों ने एक बार फिर शिक्षा विभाग के भीतर अनुशासनहीनता और कर्तव्य विमुखता के प्रति प्रशासन की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ को दर्शाया है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि शिक्षकों से नैतिक और अनुशासित आचरण की अपेक्षा की जाती है और किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनुचित व्यवहार पर तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाएगी