धरमजयगढ़।
पूर्व चिकित्सा अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विजय नगर डॉ खुर्शीद खान ने बताया कि सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस गर्दन की हड्डियों यानी सर्वाइकल स्पाइन में होने वाली एक अपक्षयी बीमारी है, जिसे आम भाषा में गर्दन का गठिया भी कहा जाता है। यह समस्या अक्सर उम्र बढ़ने के साथ देखने को मिलती है लेकिन गलत जीवनशैली और गर्दन पर लंबे समय तक पड़ने वाले दबाव के कारण कम उम्र में भी लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि चालीस वर्ष के बाद हड्डियों और डिस्क में स्वाभाविक रूप से घिसाव शुरू हो जाता है। लंबे समय तक मोबाइल या कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हुए झुककर बैठना, पुरानी चोट या दुर्घटना का असर, भारी वजन उठाना और अनुवांशिक कारण भी इस बीमारी को जन्म देते हैं। वहीं व्यायाम की कमी, मोटापा और धूम्रपान जैसी आदतें इसे और गंभीर बना देती हैं।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस से पीड़ित व्यक्ति अक्सर गर्दन में दर्द और अकड़न महसूस करता है। कंधों और हाथों में दर्द, सिर के पिछले हिस्से में लगातार होने वाला सिरदर्द, चक्कर आना, हाथों में झुनझुनी या सुन्नपन और गर्दन घुमाने में कठिनाई इसके सामान्य लक्षण हैं। कई बार यह समस्या संतुलन बिगाड़ने तक की स्थिति भी पैदा कर देती है।
डॉ. खान का कहना है कि सही पॉश्चर अपनाना, नियमित व्यायाम करना, एक ही स्थिति में लंबे समय तक काम न करना और भारी वजन उठाने से बचना इसके बचाव के प्रभावी उपाय हैं। साथ ही संतुलित आहार, पर्याप्त कैल्शियम और प्रोटीन का सेवन तथा सोने के लिए सही ऊंचाई का तकिया इस्तेमाल करना भी बहुत जरूरी है।
जांच के लिए एक्स-रे से लेकर एमआरआई और सीटी स्कैन जैसी आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाता है, जिनसे हड्डियों और नसों की सटीक स्थिति स्पष्ट हो जाती है। इसके अलावा न्यूरोलॉजिकल एग्जामिनेशन द्वारा नसों की कार्यप्रणाली को भी परखा जाता है।
डॉ. खुर्शीद खान ने लोगों से अपील की है कि यदि लगातार गर्दन दर्द, चक्कर या सुन्नपन की समस्या बनी रहे तो इसे हल्के में न लें और तुरंत चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। समय रहते इलाज और जीवनशैली में सुधार से इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।