बगीचा, जशपुर।
जशपुर जिले के बगीचा क्षेत्र से वन सम्पदा की खुली लूट का मामला सामने आया है। तमबाकछार जंगल से अर्जुन पेड़ों के भारी भरकम लट्ठों से लदी आयशर प्रो गाड़ी को लकड़ी तस्करी करते हुए ग्रामीणों ने रंगेहाथ पकड़ लिया। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक, गाड़ी में केवल अर्जुन प्रजाति की लकड़ियाँ लोड थीं, जिनकी बाजार में कीमत लाखों रुपये आँकी जा रही है।
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गाड़ी को बगीचा वन विभाग के कार्यालय में खड़ा कर दिया गया है, लेकिन उसमें लोड करने में लगे हाइड्रा वाहन को माफिया बीच रास्ते में ही छोड़कर भाग निकले। ग्रामीणों की सतर्कता के चलते हाइड्रा को जंगल से बाहर नहीं निकाला जा सका।
वन विभाग के एसडीओ ईश्वर कुजूर ने मामले पर टिप्पणी करने से फिलहाल इनकार करते हुए कहा कि “मुल्यांकन के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।” उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हाइड्रा को कुछ लोग भगाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ग्रामीणों ने उसे बीच रास्ते में ही रोक लिया।
सवालों के घेरे में वन विभाग, आखिर कौन लूट रहा जशपुर की औषधीय सम्पदा?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस तस्करी में शामिल आयशर प्रो गाड़ी रायपुर नंबर की है और इसके चालक एवं मजदूर मौके से फरार हो गए। यह घटना जशपुर के जंगलों में चल रही अवैध कटाई और तस्करी के संगठित नेटवर्क की ओर इशारा करती है।
जशपुर की भूमि औषधीय पौधों और पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है, और अर्जुन पेड़ न सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आयुर्वेदिक उपयोग के कारण इसकी आर्थिक कीमत भी काफी अधिक है।
इस बात की पुष्टि बगीचा रेंजर अशोक सिंह ने की है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि —
“इन औषधीय पेड़ों पर नजर किसकी है?”
“क्या जंगल की लूट स्थानीय तस्करों और बाहरी नेटवर्क की मिलीभगत का नतीजा है?”
“और वन विभाग की भूमिका कितनी पारदर्शी है?”
ग्रामीणों की सतर्कता ने एक बड़ा अपराध रोका
गौरतलब है कि यदि ग्रामीण सजग नहीं होते, तो यह पूरा तस्करी अभियान सफल हो चुका होता। अब देखना यह है कि वन विभाग इस मामले में कितनी सख्ती से कार्यवाही करता है, और क्या इस रैकेट के पीछे छिपे रसूखदार चेहरों को बेनकाब किया जा सकेगा?