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रायपुर। लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा इस वर्ष पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ 25 अक्टूबर शनिवार से शुरू होकर 28 अक्टूबर मंगलवार तक मनाया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत होती है ‘नहाय-खाय’ से, जिसे शुद्धता और आस्था का प्रतीक माना जाता है।

इस दिन श्रद्धालु सुबह-सुबह पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर शरीर और मन की शुद्धि करते हैं। इसके बाद व्रती सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और उसी से छठ व्रत की औपचारिक शुरुआत होती है।

नहाय-खाय का महत्व

‘नहाय-खाय’ केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा की पवित्रता का संकल्प है। यह दिन आत्मसंयम, स्वच्छता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती केवल सात्विक आहार लेते हैं, जिसमें लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल प्रमुख रूप से शामिल होते हैं।

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शुभ माने जाते हैं ये रंग

नहाय-खाय के दिन कपड़ों का रंग और सादगी विशेष महत्व रखते हैं। पारंपरिक मान्यता है कि इस दिन पहने गए रंग व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा और मानसिक शांति को प्रभावित करते हैं।

  • हल्के पीले, नारंगी, क्रीम, या हल्के हरे रंग के वस्त्र इस दिन पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • ये रंग सूर्य की ऊर्जा, पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक हैं।
  • महिलाएं सामान्यतः सादी साड़ियां या सूती वस्त्र पहनती हैं, ताकि सादगी और भक्ति का भाव बना रहे।

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इन रंगों से करें परहेज

इस दिन गहरे, चमकीले या काले रंग के कपड़े पहनने से परहेज करना चाहिए।

  • काला रंग नकारात्मकता और शोक का प्रतीक माना जाता है।
  • बहुत ज्यादा भड़कीले रंग पूजा के वातावरण की सादगी और पवित्रता को प्रभावित करते हैं।

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रंगों से जुड़ी आध्यात्मिक मान्यता

आयुर्वेद और पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, हर रंग का शरीर और मन पर प्रभाव पड़ता है। हल्के रंग व्यक्ति में शांति, धैर्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। वहीं गहरे रंग उत्तेजना और अस्थिरता को बढ़ाते हैं। इसी कारण नहाय-खाय के दिन हल्के और शांत रंगों को प्राथमिकता दी जाती है।

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निष्कर्ष

छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति और आत्मशुद्धि का उत्सव है। नहाय-खाय से इस पर्व की शुरुआत होती है, जो भक्ति, अनुशासन और सात्विकता का संदेश देता है।
सही रंगों का चयन इस दिन की पवित्रता और सकारात्मकता को और अधिक बढ़ा देता है।

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