अयोध्या एक बार फिर भव्यता और आस्था के संगम से सजी नजर आने को तैयार है। दीपों की कतारें सड़कों, गलियों और घाटों को स्वर्ग सा प्रकाशमान कर रही हैं। हर दीया जैसे रामलला के आगमन का निमंत्रण पत्र बन गया है। आज से आरंभ हो रहे तीन दिवसीय दीपोत्सव में रामनगरी अयोध्या अपने सम्पूर्ण श्रृंगार में जगमगाएगी।

सरयू तट पर 28 लाख दीप प्रज्वलन की ऐतिहासिक तैयारी की गई है। इस बार तकनीक और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा — लेजर शो, ड्रोन शो और प्रोजेक्शन मैपिंग के माध्यम से रामकथा के प्रसंगों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। मानो स्वयं आकाश श्रीराम के आगमन की कथा सुना रहा हो।

विदेशी कलाकारों की रामलीला बनेगी आकर्षण का केंद्र

दीपोत्सव में इस बार रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और श्रीलंका के कलाकार अपनी-अपनी सांस्कृतिक शैली में रामलीला का मंचन करेंगे। कुल 90 विदेशी कलाकारों की भागीदारी रहेगी।

  • रूस के कलाकार सीता स्वयंवर का दृश्य मंचित करेंगे।
  • थाईलैंड के कलाकार तीन प्रमुख युद्धों के प्रसंग दिखाएंगे।
  • इंडोनेशिया के कलाकार लंका दहन और अयोध्या वापसी के दृश्य जीवंत करेंगे।
  • नेपाल के कलाकार लक्ष्मण पर शक्ति प्रदर्शन का प्रसंग प्रस्तुत करेंगे।
  • श्रीलंका के कलाकार रावणेश्वर की भूमि का दृश्य रचेंगे।

गूंजेगा जय श्रीराम — 11 मंचों पर 2000 कलाकार देंगे प्रस्तुति

अयोध्या में कुल 11 मंच बनाए गए हैं, जिन पर 2000 से अधिक कलाकार प्रस्तुतियां देंगे। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए 500 कलाकार और अयोध्या के 300 स्थानीय कलाकार शामिल हैं।
रामकथा पार्क, तुलसी उद्यान, बड़ी देवकाली और गुप्तार घाट पर नाट्य मंचन होंगे, जबकि सात छोटे मंचों पर स्थानीय लोकगीत, नृत्य और भजन की प्रस्तुतियां होंगी।

हर दीप बनेगा श्रद्धा का प्रतीक

तीन दिनों तक चलने वाला यह दीपोत्सव न केवल आस्था का पर्व होगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि राम की नगरी केवल इतिहास नहीं, जीवंत अध्यात्म है।
छोटी दीपावली यानी 19 अक्टूबर को 28 लाख दीपों से राम की पैड़ी को आलोकित कर विश्व कीर्तिमान बनाने की तैयारी है।

दीपों की बढ़ती संख्या ने लिखी इतिहास की नई पंक्तियां

वर्ष जले दीप
2017 1.71 लाख
2018 3.01 लाख
2019 4.04 लाख
2020 6.06 लाख
2021 9.41 लाख
2022 15.76 लाख
2023 22.23 लाख
2024 25.12 लाख
2025 28 लाख (लक्ष्य)

अवधपुरी में लौटेगी राम युग की झलक

अयोध्या की सड़कों पर पुष्पों की वर्षा, मंदिरों में गूंजते मंगल गीत और दीपों से झिलमिलाती गलियां — हर ओर ऐसा प्रतीत होगा मानो ‘अवधपुरी प्रभु आवत जानी, भई सकल सोभा कै खानि’ की पंक्ति सजीव हो उठी हो। श्रद्धालु और पर्यटक देर शाम होते ही इस अलौकिक दृश्य के साक्षी बनने उमड़ रहे हैं।

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