झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया आज सुबह दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्स पर इसकी जानकारी साझा करते हुए अपने पिता के निधन की पुष्टि की
लंबे समय से किडनी की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे गुरुजी को 19 जून 2025 को सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था इलाज के दौरान उन्हें ब्रेन स्ट्रोक भी हुआ और उनकी हालत नाजुक बनी रही कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद आज उनका निधन हो गया गुरुजी के जाने से पूरे झारखंड समेत देशभर में शोक की लहर दौड़ गई
आदिवासी समाज के मसीहा और झारखंड आंदोलन के जनक
11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन के पिता सोबरन सोरेन एक शिक्षक थे महाजनों द्वारा पिता की हत्या के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष का रास्ता चुना 1970 के दशक में राजनीति में कदम रखते हुए उन्होंने आदिवासियों के हक की लड़ाई शुरू की
4 फरवरी 1973 को बिनोद बिहारी महतो और ए के राय के साथ मिलकर उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की इस आंदोलन ने अलग झारखंड राज्य की मांग को नई गति दी और वर्षों के संघर्ष के बाद 15 नवंबर 2000 को झारखंड बिहार से अलग होकर एक नया राज्य बना इस उपलब्धि ने शिबू सोरेन को झारखंड आंदोलन का जनक बना दिया
सामाजिक न्याय के लिए आजीवन संघर्ष
शिबू सोरेन ने महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ आदिवासी समाज को एकजुट किया धनकटनी आंदोलन जैसे अभियानों के माध्यम से उन्होंने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी उनकी सादगी और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें झारखंड की राजनीति में एक विशिष्ट पहचान दिलाई उनके नेतृत्व में झामुमो राज्य की राजनीति में मजबूत स्तंभ के रूप में उभरा
गुरुजी के निधन से एक युग का अंत हो गया है उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा झारखंड में आज शोक का माहौल है और लोग अपने प्रिय नेता को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं