संभाग में शिक्षा विभाग ने तेज किया युक्तियुक्तकरण का अंतिम चरण
अंबिकापुर,
शिक्षा विभाग द्वारा संचालित युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। शासन के निर्देशानुसार सरगुजा संभाग के सभी जिलों से संबंधित शेष बचे अतिशेष व्याख्याताओं एवं शिक्षकों की नवीन पदस्थापना 5 जून और 6 जून को संभाग स्तरीय काउंसलिंग के माध्यम से की जाएगी। यह काउंसलिंग शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अंबिकापुर में आयोजित की जा रही है।
- 5 जून को दोपहर 12 बजे से व्याख्याताओं की काउंसलिंग होगी।
- 6 जून को प्रातः 9 बजे से शिक्षकों की काउंसलिंग की प्रक्रिया आयोजित की जाएगी।
सरगुजा संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय द्वारा जारी निर्देशों में बताया गया है कि जिलों में युक्तियुक्तकरण के तहत प्राथमिक स्तर पर जिन शिक्षकों की पदस्थापना नहीं हो पाई थी, उनके लिए अब यह प्रक्रिया संभाग स्तर पर की जा रही है। अनुमानतः 150 से 200 व्याख्याताओं और 400 से 500 शिक्षकों को इस काउंसलिंग के माध्यम से नवीन स्थानों पर पदस्थ किया जाएगा।
प्राथमिकता के आधार पर पदस्थापना
शासन के निर्देशानुसार काउंसलिंग में कुछ वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी:
- वे शिक्षक जो दो वर्ष या उससे कम समय में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
- महिला शिक्षक, जिन्हें पारिवारिक या सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए वरीयता दी जाएगी।
- शासन से मान्यता प्राप्त शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी।
- संकुल समन्वयक तथा वरिष्ठता सूची के अनुसार अन्य शिक्षक।
सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों से संबंधित शेष अतिशेष शिक्षकों की सूची निर्धारित प्रारूप में कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा, सरगुजा को भेजें। यह सूची विद्यालयवार, विषयवार एवं संवर्गवार होनी चाहिए, जो 4 जून तक हार्ड और सॉफ्ट कॉपी के रूप में विशेष पत्र वाहक द्वारा प्रस्तुत की जानी थी।
साथ ही, डीईओ को यह सुनिश्चित करना था कि संबंधित शिक्षक समय पर सूचना प्राप्त करें और काउंसलिंग के निर्धारित समय व स्थान पर उपस्थित हों। इसके लिए अर्द्धशासकीय पत्र जारी कर प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत रूप से सूचित करने तथा उसकी पावती (अभिस्वीकृति) सुरक्षित रखने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
यह प्रक्रिया शिक्षा व्यवस्था में संतुलन और पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से की जा रही है। विभाग का प्रयास है कि सभी शालाओं में शिक्षक उपलब्ध हों और कोई भी स्कूल बिना शिक्षक के न रह जाए। शासन इस प्रक्रिया को पारदर्शी, न्यायसंगत और समयबद्ध ढंग से पूर्ण करने के लिए कृतसंकल्प है