नई दिल्ली, 25 सितंबर 2025 —
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए ई-सत्यापन प्रणाली शुरू कर दी है। इस नई व्यवस्था के तहत अब मतदाता सूची में किसी नाम को हटाने या शामिल करने के लिए दर्ज की गई आपत्ति पर कार्रवाई तभी होगी, जब उस व्यक्ति के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजे गए वन टाइम पासवर्ड (OTP) के जरिए पुष्टि की जाएगी।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम मतदाता सूची से नाम हटाने के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है। अधिकारियों के अनुसार, पहले कुछ लोग दूसरों के नाम या मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर गलत तरीके से ऑनलाइन फॉर्म-7 भरते थे, जिससे वैध मतदाताओं के नाम भी हटाए जाने की आशंका बनी रहती थी। अब OTP आधारित सत्यापन से ऐसा करना संभव नहीं होगा।
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस नई प्रणाली को लागू हुए एक सप्ताह हो चुका है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि यह कदम कर्नाटक के अलंद विधानसभा क्षेत्र से जुड़े विवाद के कारण नहीं उठाया गया है, बल्कि यह सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है।
अलंद विवाद की बात करें तो कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि वहां हजारों मतदाताओं के नाम फर्जी तरीके से सूची से हटाए गए। उनके मुताबिक, यह संगठित तरीके से की गई “वोट चोरी” थी। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि अलंद में कुल 6,018 फॉर्म-7 आवेदन नाम हटाने के लिए ऑनलाइन जमा किए गए थे, जिनमें से सत्यापन के बाद केवल 24 आवेदन ही सही पाए गए। शेष 5,994 आवेदन गलत पाए गए और खारिज कर दिए गए।
राहुल गांधी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बुधवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, “हमने वोट चोरी पकड़ी और तभी आपको ताला लगाने की याद आई। अब हम चोरों को भी पकड़ेंगे।” उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से सवाल किया कि वे अलंद मामले से जुड़े सबूत कर्नाटक CID को कब सौंपेंगे।
हालांकि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के दावों को खारिज करते हुए कहा कि केवल ऑनलाइन फॉर्म-7 भरने से किसी का नाम मतदाता सूची से स्वतः नहीं हटता। हर आवेदन का विधिवत सत्यापन होता है, और केवल प्रमाणित मामलों में ही कार्रवाई की जाती है।
ई-सत्यापन व्यवस्था अब पूरे देश में लागू की जा रही है। इसके माध्यम से किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता यदि किसी प्रविष्टि को हटाने की मांग करता है, तो प्रक्रिया तभी आगे बढ़ेगी जब उसका मोबाइल नंबर सत्यापित होगा। इससे न सिर्फ मतदाता सूची में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि भविष्य में राजनीतिक विवादों और आरोप-प्रत्यारोपों पर भी अंकुश लग सकेगा।

