सौरभ सतपथी
CG NOW
सरायपाली – मानसून की आहट के साथ ही अंचल के किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट गए हैं। खेतों की सफाई कर हल बैल अथवा ट्रैक्टर के जरिए जुताई कर रहे हैं। जुताई के पश्चात खरपतवार हटाया जा रहा है और कई स्थानों पर खेत में देशी गोबर खाद भी डाल रहे हैं। किसानों का मानना है कि खेती को उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए बारिश से पहले देशी खाद डालने पर फसल अच्छी होती है। विगत कुछ दिनों से मौसम में चदलाव देखा जा रहा है।
कुछ दिनों पहले तक जहाँ लोग तेज धूप से परेशान थे, वहीं बीते दिनों हुई बारिश के बाद किसानों ने खरीफ की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि अभी भी गर्मी और उमस का मौसम बना हुआ है, लेकिन बदली का मौसम होने के कारण गर्मी का आभास अपेक्षाकृत कम ही हो रहा है। मौसम में इस बदलाव को मानसून आने की आहट के रूप में देखा आइट के रूप में देखा जा रहा और किसान भी खरीफ फसल की तैयारी में जुट गए हैं।
वर्तमान में अधिकांश किसान खेतों की जुताई जुताई कर खरपतवार और घास की सफाई कर रहे हैं, ताकि बारिश के समय परेशानी ना हो। इसके अलावा मानसून आने के पहले ही खेतों में गोबर में खाद डाला जा रहा है।
कहीं कहीं परम्परिक गेचर खाद के अलावा रासायनिक उर्वरक भी खेतों में डाल रहे हैं। सरायपाली अंचल में अधिकांश किसान प्राकृतिक बारिश पर ही निर्भर रहते हैं, यही कारण है कि आगामी दिनों में बारिश की संभावना को देखते हुए वे अपनी तैयारी में लग गए हैं। कुछ किसानों ने बताया कि बारिश से पहले खेत में खाद डालने पर बारिश आने के बाद यह आसानी से मिट्टी में मिल जाता है। खेतों की बुवाई करने के बाद यह खाद जमीन में अंदर चला जाता है। वहीं जुताई के बाद जमीन के अंदर के कीटाणु बाहर निकाल कर समापा होते हैं, मिट्टी मे धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे पैदाकर भी अच्छी होती है।