जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में 575 पद रिक्त, कालातीत दवाओं और खराब उपकरणों की सप्लाई से बढ़ी परेशानी
महासमुंद, 29 अक्टूबर 2025
छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व संसदीय सचिव और महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा की साय सरकार के 22 माह के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाएँ चरमरा चुकी हैं, और सरकारी अस्पतालों की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है।
विनोद चंद्राकर ने कहा कि महासमुंद जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं, न नर्स, और न ही जरूरी दवाओं की उपलब्धता है। मरीजों को जांच और इलाज के लिए मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कमीशनखोरी चरम पर है और अस्पतालों में कालातीत दवाओं व खराब उपकरणों की सप्लाई की जा रही है।
पूर्व विधायक ने बताया कि हाल ही में अस्पताल में घटिया सामग्रियों की आपूर्ति के कारण गंभीर लापरवाही देखने को मिली। एक महिला मरीज का ऑपरेशन अधूरा रह गया क्योंकि ऑपरेशन थियेटर की मशीनें शॉर्ट सर्किट से खराब हो गईं। यह घटना, उनके अनुसार, जिले के सबसे बड़े अस्पताल की दुर्दशा का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, “भाजपा की साय सरकार का पूरा फोकस केवल कमीशनखोरी पर है। गरीब मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सरकार न दवा दे पा रही है, न जांच की सुविधा, न ही समुचित इलाज।”
575 पदों पर भर्ती नहीं, स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित
विनोद चंद्राकर ने कहा कि जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में 616 स्वीकृत पदों में से 575 पद रिक्त पड़े हैं, जिनमें डॉक्टर, नर्स, तकनीशियन, रिकॉर्ड क्लर्क, वार्ड बॉय, स्वीपर, लैब अटेंडेंट और अन्य आवश्यक पद शामिल हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं कर रही है, जबकि अस्पताल स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है।
कांग्रेस शासनकाल में स्वास्थ्य ढांचा तीन गुना बेहतर था
पूर्व विधायक ने याद दिलाया कि कांग्रेस शासनकाल में 8 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए और सभी जिला अस्पतालों को मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में उन्नत किया गया था। 1900 से अधिक वेलनेस सेंटर संचालित थे और हमर अस्पताल, हाट बाजार क्लिनिक, मोहल्ला क्लिनिक जैसी योजनाओं से स्वास्थ्य सेवाएं गांव-गांव तक पहुंची थीं।
उन्होंने कहा कि आज वही व्यवस्थाएं साय सरकार की अकर्मण्यता के कारण बदहाल हैं और जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
विनोद चंद्राकर ने अंत में कहा, “सरकार को चाहिए कि वह कमीशन आधारित व्यवस्था छोड़कर जनता की जान बचाने के लिए गंभीरता से कदम उठाए। स्वास्थ्य सेवा कोई सुविधा नहीं, बल्कि जनजीवन की आवश्यकता है।”

