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नई दिल्ली, 1 नवंबर 2025:
भारत के शिक्षा परिदृश्य में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की है कि कक्षा तीन से ही सभी स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा। मंत्रालय ने इसे “भविष्य के लिए तैयार शिक्षा” का एक अनिवार्य हिस्सा बताया है, जिससे बच्चों को छोटी उम्र से ही डिजिटल सोच, समस्या-समाधान और नवाचार की समझ विकसित हो सके।
यह फैसला 29 अक्तूबर को आयोजित एक राष्ट्रीय हितधारक परामर्श के बाद लिया गया, जिसमें सीबीएसई, एनसीईआरटी, केवीएस, एनवीएस और आईआईटी मद्रास जैसे संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया।
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एआई अब होगा बचपन से शिक्षा का हिस्सा
शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (AI & CT) को “हमारे आसपास की दुनिया से जुड़े एक बुनियादी सार्वभौमिक कौशल” के रूप में अपनाया जाएगा।इस पहल के तहत, एआई को केवल एक विषय नहीं बल्कि सोचने, समझने और सिखाने की नई पद्धति के रूप में जोड़ा जाएगा — ताकि बच्चे तकनीक को केवल उपयोग न करें, बल्कि उसे समझें और नैतिक रूप से इस्तेमाल करना सीखें।
‘सार्वजनिक हित के लिए एआई’ की दिशा में बड़ा कदम
मंत्रालय के मुताबिक, यह पहल ‘AI for Public Good’ (सार्वजनिक हित के लिए एआई) की दिशा में एक बड़ा और सार्थक कदम है।
एआई और सीटी को स्कूल शिक्षा के हर स्तर पर धीरे-धीरे शामिल किया जाएगा, ताकि बच्चे तकनीक के नैतिक, जिम्मेदार और मानवीय उपयोग के प्रति जागरूक बनें।
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एनसीएफ एसई 2023 के अनुरूप नया पाठ्यक्रम
यह नया एआई पाठ्यक्रम राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-SE 2023) के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। मंत्रालय ने बताया कि राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय शिक्षा संस्थानों के सहयोग से एक समावेशी, व्यापक और व्यवहारिक एआई कोर्स तैयार किया जाएगा।सीबीएसई ने इसके लिए आईआईटी मद्रास के प्रो. कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो एआई और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग के मानक पाठ्यक्रम का खाका तैयार करेगी।
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“हर बच्चे की विशिष्ट क्षमता हमारी प्राथमिकता” — संजय कुमार
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा —“आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शिक्षा को हमारे आसपास की दुनिया से जुड़े एक बुनियादी सार्वभौमिक कौशल के रूप में देखा जाना चाहिए। हमारा लक्ष्य है कि हर बच्चा अपनी विशिष्ट क्षमता के अनुसार सीख सके और बदलते समय की जरूरतों के अनुरूप विकसित हो।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिक्षक प्रशिक्षण और डिजिटल शिक्षण सामग्री इस परिवर्तन की रीढ़ होगी। ‘निष्ठा’ जैसे प्रशिक्षण मॉड्यूल और वीडियो-आधारित संसाधनों के माध्यम से शिक्षकों को नई तकनीक के साथ सहज बनाया जाएगा।
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एनसीईआरटी और सीबीएसई मिलकर करेंगे गुणवत्ता सुनिश्चित
एआई पाठ्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए एक संयुक्त समन्वय समिति का गठन किया जाएगा, जो एनसीईआरटी और सीबीएसई के बीच तालमेल बनाए रखेगी।
इससे पाठ्यक्रम की संगति, संरचना और गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित होगा।
निर्धारित समयसीमा में क्रियान्वयन पर जोर
संयुक्त सचिव (आईटी) प्राची पांडे ने कहा कि पाठ्यक्रम विकास और कार्यान्वयन निर्धारित समयसीमा में पूरा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पहल भारत को “एआई-रेडी नेशन” बनाने की दिशा में एक मजबूत नींव रखेगी।
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भारत बनेगा ‘एआई साक्षर’ देश
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह कदम भारत को एआई के युग में अग्रणी बनाएगा।
छोटे बच्चों में रचनात्मक सोच, तार्किक विश्लेषण और तकनीकी समझ विकसित होगी — जिससे भविष्य में वे न केवल तकनीक का उपयोग करेंगे, बल्कि उसे निर्माण और नवाचार के औज़ार के रूप में अपनाएंगे।

