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नई दिल्ली/रायपुर। देश में मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन को और मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ और कर्नाटक को पहला ड्यूल–पोलराइज्ड सी-बैंड डॉप्लर वेदर रडार समर्पित किया। रायपुर और मंगलूरू में लगाए गए ये अत्याधुनिक रडार 250 किलोमीटर के दायरे में गंभीर मौसम गतिविधियों की उन्नत निगरानी करेंगे।
आईएमडी के अनुसार इन रडारों की मदद से भारी बारिश, आंधी-तूफान, बिजली गिरने, चक्रवात, ओलावृष्टि और अन्य तीव्र मौसम प्रणालियों की सटीक और समय रहते चेतावनी जारी की जा सकेगी।
रायपुर रडार से 5 राज्यों पर रहेगी नजर
रायपुर का रडार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित किया गया है। यह न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि ओडिशा, पूर्वी मध्य प्रदेश, दक्षिण–पश्चिम झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मौसम की भी हाई-रिज़ॉल्यूशन मॉनिटरिंग करेगा। इससे लंबे समय से मौजूद मौसम संबंधी डेटा गैप मिटाने में बड़ी मदद मिलेगी।
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मंगलूरू रडार करेगा समुद्री मौसम की निगरानी
दूसरी ओर, मंगलूरू के शक्ति नगर स्थित आईएमडी कार्यालय में स्थापित रडार अरब सागर और दक्षिण-पश्चिमी समुद्री तट की मौसम प्रणालियों पर चौबीसों घंटे नजर रखेगा। यह कर्नाटक, केरल, गोवा, दक्षिण कोंकण, उत्तर लक्षद्वीप और दक्षिण महाराष्ट्र के लिए अहम साबित होगा।
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‘**मेक इन इंडिया’ से बना रडार, 2027 से पहले पूरा होगा लक्ष्य**
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोनों रडारों का वर्चुअल उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि यह तकनीक मेक इन इंडिया के तहत विकसित की गई है, जिससे मिशन मौसम को गति मिली है।
उन्होंने कहा कि—“आईएमडी के रडार नेटवर्क को 47 से बढ़ाकर तीन गुना करने का लक्ष्य 2027 तक रखा गया है, लेकिन अब तक 126 रडार लगाए जा चुके हैं। लक्ष्य समय से पहले पूरा होने की उम्मीद है।”
इन रडारों के शुरू होने से मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन तंत्र और मजबूत होगा तथा आम जनता व किसानों को समय रहते मौसम संबंधी सटीक जानकारी मिल सकेगी।

