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रायपुर, 28 नवंबर 2025। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जमीन की गाइडलाइन दरों में 10 से 100 प्रतिशत तक की गई बढ़ोतरी को जनविरोधी बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि यह निर्णय तानाशाही सोच को दर्शाता है, जिससे आम जनता, किसान और मध्यम वर्ग पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
बैज ने कहा कि गाइडलाइन दरों में अचानक की गई बढ़ोतरी से जमीन खरीदने और बेचने का कारोबार संकट में आ जाएगा। गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों के घर बनाने का सपना टूट जाएगा, वहीं किसान न अपनी जमीन बेच पाएगा न खरीद सकेगा।उन्होंने कहा, “सरकार के निर्णय से भवन निर्माण कार्य प्रभावित होगा, जिससे सीमेंट, स्टील, रेती, गिट्टी, ईंट, हार्डवेयर, बिजली सामग्री, फर्नीचर जैसे सेक्टर में मंदी आ जाएगी और श्रमिकों की बेरोजगारी बढ़ेगी। राजस्व बढ़ाने की जगह सरकार खुद अपने राजस्व को नुकसान पहुँचा रही है।”
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आम जनता पर भारी पड़ेगा बोझ
दीपक बैज ने उदाहरण देते हुए कहा कि रायपुर में 30 लाख की जमीन पर 22 लाख की स्टांप ड्यूटी लगाना किसी सरफिरे फैसले से कम नहीं है। कई क्षेत्रों में 1000 वर्गफुट जमीन 6 लाख में खरीदी जाए तो 4.40 लाख का रजिस्ट्री शुल्क देना पड़ेगा।
उन्होंने तंज कसा — “कुछ जगह तो जमीन की कीमत और रजिस्ट्री शुल्क बराबर, और कहीं-कहीं जमीन से ज्यादा शुल्क देना पड़ेगा। गरीब आदमी घर कैसे बनाएगा?”
किसानों पर डबल मार
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह निर्णय पूरी तरह किसान विरोधी है—
“किसान अगर जमीन बेच भी दे तो जरूरत पूरी करने के बाद दूसरी जमीन खरीदने पर और ज्यादा स्टांप ड्यूटी देनी पड़ेगी। इससे किसान खरीद-बिक्री दोनों में जकड़ जाएगा।”
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“काली कमाई सफेद करने की कवायद”
बैज ने गाइडलाइन बढ़ोतरी को भ्रष्टाचार से जोड़ते हुए गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि भाजपा सरकार के मंत्री और सत्ताधारी नेता पिछले दो वर्षों की काली कमाई को जमीन में निवेश कर चुके हैं, और अब गाइडलाइन दर बढ़ाकर उसे सफेद करने की कोशिश की जा रही है।उन्होंने कहा—“किसने दामाखेड़ा के पास बेमेतरा जिले में 300 एकड़ जमीन खरीदी, और किसने नवा रायपुर के आगे गांव में 275 एकड़ जमीन पर कब्जा जमा लिया—प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है। पूरी खरीदी की जांच हो जाए तो सच सामने आ जाएगा।”
कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह इस निर्णय के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी और आम जनता की आवाज बुलंद करेगी।
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