पुरी, ओडिशा | 26 जून 2025
भगवान जगन्नाथ की विश्वविख्यात रथ यात्रा आज पुरी में श्रद्धा, उल्लास और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भव्य रूप से प्रारंभ हो गई। भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की यह दिव्य यात्रा पुरी के ऐतिहासिक श्रीमंदिर से प्रारंभ होकर मौसी के घर गुंडिचा मंदिर की ओर अग्रसर होगी।
मान्यता है कि हर वर्ष भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ रथ पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं और वहां 7 दिन विश्राम करने के बाद पुनः 8 जुलाई को अपने मूल निवास नीलाचल धाम (जगन्नाथ मंदिर) लौटते हैं। इसे नीलाद्रि विजय कहा जाता है। रथ यात्रा 12 दिनों तक चलेगी, जिसमें अनेक धार्मिक अनुष्ठान, रस्में और सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन किया जाता है।
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रथों का स्वरूप और नाम
तीनों देवों के विशाल रथ विशेष प्रकार की पारंपरिक लकड़ी से निर्मित किए गए हैं —
- भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज
- देवी सुभद्रा का रथ देवदलन
- भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष
इन रथों को हजारों भक्त श्रद्धा के साथ रस्सियों से खींचते हैं, जिसे पवित्रतम सेवा माना जाता है।
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नबजौबन दर्शन बना आस्था का केंद्र
रथ यात्रा से एक दिन पूर्व, हजारों श्रद्धालु भगवान के नबजौबन दर्शन (युवा रूप) के लिए सिंह द्वार पर एकत्रित हुए। 11 जून को स्नान पूर्णिमा के बाद देवताओं के दर्शन बंद कर दिए गए थे, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार स्नान के बाद भगवान ‘बीमार’ हो जाते हैं और अनासर घर में विश्राम करते हैं। 15 दिनों के संगरोध के बाद आज उन्हें विशेष युवा वस्त्रों में सजाकर भक्तों को दर्शन दिए गए। इस दिन को नेत्र उत्सव भी कहा जाता है।
सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत सख्त, AI से निगरानी
पुरी पुलिस और प्रशासन ने इस रथ यात्रा को सुचारु और सुरक्षित रखने के लिए अभूतपूर्व इंतजाम किए हैं। एडीजी ट्रैफिक दयाल गंगवार ने बताया कि पूरे पुरी शहर को एकीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जोड़ा गया है।
- AI आधारित CCTV नेटवर्क
- ड्रोन निगरानी
- वॉर रूम की स्थापना
- सभी विभागों का समन्वय
- विशेष ट्रैफिक प्लानिंग और पार्किंग गाइडेंस
अगर दिखें संदिग्ध रोहिंग्या-बांग्लादेशी, तो तुरंत करें कॉल करें 18002331905 पर, पुलिस ने जारी किया टोल फ्री नंबर, आपकी पहचान रहेगी गुप्त!
जगन्नाथ की रथ यात्रा – भारत की आत्मा का उत्सव
यह रथ यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत, एकता और समर्पण का प्रतीक है। पूरी दुनिया से लाखों श्रद्धालु पुरी में एकत्र होते हैं और इस अलौकिक महोत्सव का साक्षी बनते हैं।