रायपुर, 24 सितंबर 2025 — छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। संकेत मिल रहे हैं कि सरकार नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के साथ-साथ जिलों में कलेक्टरों और मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों की जिम्मेदारियों में बड़ा फेरबदल करने जा रही है। ब्यूरोक्रेसी के गलियारों में इन बदलावों की आहट जोर पकड़ रही है।
मुख्य सचिव की नियुक्ति की उलटी गिनती शुरू?
राज्य में नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर अटकलें चरम पर हैं। सूत्रों की मानें तो 1994 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विकासशील का नाम लगभग तय माना जा रहा है। वर्तमान में एशियन डेवलपमेंट बैंक में पदस्थ विकासशील को राज्य सरकार ने केंद्र से तत्काल वापस बुलाने की पहल की है।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर 8 सितंबर को केंद्र को पत्र भेजा गया, जिसके बाद DOPT ने विकासशील को ADB से रिलीव कर दिया है। हाल ही में उनकी राजधानी रायपुर में संक्षिप्त मौजूदगी ने अटकलों को और हवा दी। हालांकि अब तक केंद्र सरकार की ओर से उनकी सेवाएं राज्य को लौटाने का औपचारिक आदेश जारी नहीं हुआ है, जिससे कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
मंत्रालय में बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी
नए मुख्य सचिव की नियुक्ति के साथ ही मंत्रालय में एसीएस से सचिव स्तर तक के अफसरों की जिम्मेदारियों में बदलाव की चर्चा है। सूत्रों के अनुसार:
- सिद्धार्थ कोमल परदेसी से स्कूल शिक्षा हटाकर उन्हें स्वास्थ्य विभाग सौंपा जा सकता है।
- बसवराजू को नगरीय प्रशासन से हटाकर स्कूल शिक्षा विभाग दिया जा सकता है।
- अमित कटारिया को स्वास्थ्य से हटाकर नगरीय प्रशासन सौंपने की संभावना जताई जा रही है।
कलेक्टरों की सूची तैयार, नॉन-परफॉर्मर होंगे बाहर
सरकार ने जिलों के कलेक्टरों के कामकाज की गहन समीक्षा की है। जिन अधिकारियों का प्रदर्शन कमजोर पाया गया है, उन्हें हटाकर नए चेहरों को मौका देने की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक, इन जिलों में कलेक्टर बदले जा सकते हैं:
- सरगुजा: विलास भोस्कर
- बेमेतरा: रणबीर शर्मा
- सारंगढ़: संजय कन्नौजे
- कबीरधाम: गोपाल वर्मा
- बस्तर: हरीश एस
- बलरामपुर-रामानुजगंज: राजेन्द्र कटारा
- सक्ती: अमृत विकास टोपनो
कोरबा कलेक्टर अजित वसंत का नाम भी चर्चा में है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ननकीराम कंवर उनके खिलाफ मुखर रहे हैं। हालांकि सरकार उनके प्रदर्शन से संतुष्ट है और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
“सुशासन” के एजेंडे को जमीन पर उतारने की तैयारी
साय सरकार को सत्ता में आए लगभग दो साल हो चुके हैं। अगले डेढ़ साल सरकार के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं, क्योंकि यह कार्यकाल का अंतिम और राजनीतिक रूप से निर्णायक चरण होगा। ऐसे में सरकार प्रशासनिक कसावट लाकर अपने सुशासन के एजेंडे को जमीन पर उतारना चाहती है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अब फोकस काम करने वाले अफसरों पर है। जो ढीले हैं, उन्हें हटाया जाएगा। जनता तक योजनाओं का लाभ पहुंचे, यह प्राथमिकता है।”
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