मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य ने टीबी जैसी गंभीर बीमारी के उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में व्यापक कार्ययोजना तैयार कर प्रभावी रूप से लागू की गई।
राज्य में 7 दिसंबर 2024 को “निक्षय-निरामय छत्तीसगढ़ – 100 दिवसीय अभियान” की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य टीबी के खिलाफ जमीनी स्तर पर निर्णायक लड़ाई छेड़ना था। अभियान के तहत घर-घर जाकर उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान की गई, जिनकी आधुनिक तकनीकों से जांच कर उपचार सुनिश्चित किया गया। इस दौरान 36 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग, 4.5 लाख एक्स-रे जांच और 1.5 लाख से अधिक व्यक्तियों की जांच अत्याधुनिक नॉट मशीन से की गई।
अभियान की सफलता में जनभागीदारी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। स्वयं राज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने टीबी मरीजों को गोद लेकर ‘निक्षय मित्र’ के रूप में पोषण आहार उपलब्ध कराया। अब तक 15,000 से अधिक नए निक्षय मित्रों ने पंजीकरण कर 34,000 मरीजों को पोषण सहायता प्रदान की है। सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संगठन और आम नागरिक भी इस मुहिम में सक्रिय रूप से शामिल हुए।
मुख्यमंत्री साय के निर्देश पर स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित वर्गों — जैसे जेलों में बंद कैदी, वृद्धाश्रमों के बुजुर्ग, छात्रावासों में रह रहे छात्र तथा फैक्ट्रियों में कार्यरत श्रमिक — के लिए विशेष शिविर आयोजित कर जांच और उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
इन प्रयासों का ही परिणाम है कि छत्तीसगढ़ को टीबी मुक्त ग्राम पंचायत कार्यक्रम के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिला है। अब तक राज्य की 4106 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि जब शासन की प्रतिबद्धता और जनसहयोग मिलते हैं, तब बदलाव केवल लक्ष्य नहीं बल्कि उपलब्धि बन जाता है। छत्तीसगढ़ इसी परिवर्तन का जीवंत उदाहरण बन रहा है।