H3N2 से सावधान!: पंद्रह-पंद्रह दिनों तक नहीं जा रही खांसी, गला खराब; ऐसा लगता है जैसे कोरोना हो गया

admin
Updated At: 07 Mar 2023 at 06:27 PM
लगातार खांसी या कभी-कभी बुखार की समस्या का बड़ा कारण इन्फ्लुएंजा-ए के सब-टाइप (उप-प्रकार) H3N2 की वजह से हो रही है। देश में यह समस्या पिछले दो-तीन महीनों से बनी हुई है।
कोरोना के घातक संक्रमण के बाद अब एक नए फ्लू के मामलों का उछाल पूरे देशभर में दर्ज किया जा रहा है। यह फ्लू है H3N2 इंफ्लुएंजा वायरस। इसे लेकर अब एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चेतावनी दी है।
डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि यह वायरस बूंदों के जरिए फैलता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में इस फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसके लक्षण बुखार, गले में खराश, शरीर में दर्द और नाक से पानी बहते रहना है। यह एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसे लेकर कोई बहुत चिंता करने की जरूरत है क्योंकि इसके चलते अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा नहीं है। यह वायरल प्रत्येक साल कुछ बदलता है।
बीते दो महीने से बढ़ रहा यह फ्लू
लगातार खांसी या कभी-कभी बुखार की समस्या का बड़ा कारण इन्फ्लुएंजा-ए के सब-टाइप (उप-प्रकार) H3N2 की वजह से हो रही है। देश में यह समस्या पिछले दो-तीन महीनों से बनी हुई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के विशेषज्ञों ने इसके लिए इन्फ्लुएंजा-ए के सब-टाइप एच3एन2 को जिम्मेदार ठहराया है।
आईसीएमआर के वैज्ञानिकों का कहना है कि एच3एन2 पिछले दो-तीन महीनों से व्यापक रूप से लोगों की सेहत के लिए खतरा बना हुआ है। अन्य उपप्रकारों की तुलना में इसकी चपेट में आने वाले ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। उन्होंने लोगों को वायरस से खुद को बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची भी जारी की है।
इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने देशभर में खांसी, सर्दी और उबकाई के बढ़ते मामलों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग के खिलाफ भी सलाह जारी की है। इसमें कहा गया है कि ऐसा मौसमी बुखार पांच से सात दिनों तक रहेगा।
आईएमए की एंटी-माइक्रोबियल रेसिस्टेंस के लिए स्थायी समिति ने कहा कि ज्यादातर मामलों में बुखार तीन दिनों में ठीक हो जाता है। हालांकि, खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है। वायु प्रदूषण के कारण वायरल के मामले भी बढ़े हैं। समिति ने कहा कि यह ज्यादातर 15 साल से कम और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में होता है। यह बुखार के साथ ऊपरी श्वसन संक्रमण का कारण बनता है।
ऐसे करें बचाव
सार्वजनिक स्थल पर मास्क पहनकर रहें
नियमित रूप से हाथ धोने और सार्वजनिक जगह पर हाथ मिलाने और थूकने से बचें
आंख और नाक को छूने से बचें
खांसते समय मुंह और नाक को कवर कर लें
प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें
तरल पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें
बॉडी पेन या बुखार होने पर पेरासिटामोल लें
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