नई दिल्ली। देशभर के स्कूलों में पढ़ाई का स्तर जांचने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कराए गए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। गणित के विषय में सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों के विद्यार्थी पिछड़ते नजर आ रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय के ‘परख’ (PARAKH) सर्वेक्षण के अनुसार कक्षा 6 के केवल 53 प्रतिशत विद्यार्थियों को ही 10 तक का पहाड़ा आता है, जबकि कक्षा 3 के महज 55 प्रतिशत छात्र ही 1 से 99 तक की संख्याओं को सही क्रम में लिखने में सक्षम हैं।
21 लाख से ज्यादा बच्चों पर हुआ था सर्वेक्षण
‘ज्ञान का प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और विश्लेषण पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण’ के तहत यह अध्ययन पिछले वर्ष दिसंबर में किया गया। इसमें 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 781 जिलों के 74,229 सरकारी और निजी स्कूलों के कक्षा 3, 6 और 9 के 21,15,022 विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया गया। साथ ही 2.70 लाख से अधिक शिक्षकों से भी प्रश्नावलियों के माध्यम से जानकारी ली गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, केवल 58 प्रतिशत विद्यार्थी ही दो अंकों की जोड़-घटाव जैसी बुनियादी गणनाएं कर पा रहे हैं। वहीं 46 प्रतिशत विद्यार्थी ही गणित में औसत अंक हासिल कर सके। यह आंकड़ा अन्य विषयों की तुलना में सबसे कम है।
कक्षा 6 में ‘द वर्ल्ड अराउंड अस’ विषय भी जोड़ा गया है, लेकिन यहां भी बच्चों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा।
- गणित में औसतन अंक – 46%
- भाषा में – 57%
- वर्ल्ड अराउंड अस में – 49%
नौवीं के केवी छात्रों ने दिखाया दम
सर्वे रिपोर्ट में कक्षा 9 के केंद्रीय विद्यालय (KV) के विद्यार्थियों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। खासकर भाषा में उनकी दक्षता सबसे बेहतर पाई गई। वहीं, निजी स्कूलों के छात्रों ने विज्ञान और समाज विज्ञान में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन गणित में उनका प्रदर्शन भी कमजोर रहा।
कक्षा 3 में केवी छात्रों का गणित में सबसे खराब प्रदर्शन दर्ज किया गया, जो चौंकाने वाला तथ्य है।
सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में समान स्थिति
सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों का प्रदर्शन भी गणित में निराशाजनक रहा। हालांकि भाषा विषय में सभी प्रकार के स्कूलों के परिणाम अपेक्षाकृत बेहतर पाए गए।
ग्रामीण बनाम शहरी छात्र
सर्वे में यह भी सामने आया कि कक्षा 3 के ग्रामीण छात्रों ने गणित और भाषा दोनों में बेहतर प्रदर्शन किया है। जबकि शहरी क्षेत्रों के छात्रों ने कक्षा 6 और 9 में सभी विषयों में ग्रामीण छात्रों से बेहतर प्रदर्शन किया।
शिक्षा मंत्रालय की चिंता
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने माना कि 50 प्रतिशत से कम बच्चों के सही उत्तर देना यह दर्शाता है कि उनकी सीखने की क्षमता में स्पष्ट अंतर है। अधिकारियों ने इसे नीति-निर्माण के लिए चेतावनी संकेत मानते हुए सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता जताई है।यह रिपोर्ट शिक्षा व्यवस्था के उस पहलू को उजागर करती है, जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना अब केवल लक्ष्य नहीं, बल्कि तत्काल जरूरत बन गई है।

