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किसानों की आय बढ़ाने और दलहन–तिलहन उत्पादन को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा योजना) के तहत समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यापक तैयारी शुरू कर दी है। इस बार खरीदी का पूरा काम सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाएगा, जिससे किसानों को सीधा और पारदर्शी लाभ मिल सके।
सरकार ने खरीदी के लिए फसलों की तिथियां भी घोषित कर दी हैं। अरहर और सरसों की खरीदी 15 फरवरी से 15 मई 2026 तक होगी। मूंग, उड़द, मूंगफली और सोयाबीन की खरीदी 1 दिसंबर से 28 फरवरी तक चलेगी, जबकि चना और मसूर की खरीदी 1 मार्च से 30 मई तक की जाएगी।कृषि विभाग ने खरीफ व रबी दोनों मौसमों में उपार्जन की तैयारी शुरू कर दी है। शासन द्वारा प्रति एकड़ अधिकतम उपार्जन सीमा तय कर दी गई है और इस पूरे काम की जिम्मेदारी नाफेड को दी गई है, जो उपार्जन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
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किसान पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य
समर्थन मूल्य का लाभ पाने के लिए किसानों को कृषि विभाग के एकीकृत किसान पोर्टल पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होगा। नाफेड इसी पंजीकरण डेटा के आधार पर खरीदी और भुगतान की प्रक्रिया संचालित करेगा। सरकार का मानना है कि यह पहल दलहन–तिलहन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित होगी।
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रबी फसलों का रकबा बढ़ने की संभावना
विशेषज्ञों का कहना है कि चना, मसूर और सरसों की खरीदी सुनिश्चित होने से रबी सीजन में क्षेत्र का रकबा बढ़ेगा। इसका लाभ उन इलाकों को भी मिलेगा जहाँ अब तक मुख्य रूप से खरीफ में ही धान की खेती होती थी।कृषक हित में कृषि विभाग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, नेशनल मिशन ऑन ऑयलसीड, द्वि-फसलीय क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम और आत्मा योजना के तहत अनुदान और तकनीकी सहायता भी दे रहा है, ताकि किसान ज्यादा उत्पादन कर सकें और बेहतर आय प्राप्त कर सकें।कृषि विभाग ने किसानों से आग्रह किया है कि वे अपनी उपज को समर्थन मूल्य पर बेचें, निर्धारित तिथियों में खरीदी केंद्रों पर पहुंचें और योजनाओं का पूरा लाभ उठाएं, ताकि आय में वास्तविक सुधार संभव हो सके।

