रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि किसान धान बेचने के लिए परेशान हैं और सरकार की नीयत पर अब सवाल उठने लगे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि—
- किसानों को समय पर टोकन नहीं मिल रहा,
- पूरे रकबे की तौल नहीं हो रही,
- गिरदावरी और अनावरी रिपोर्ट का बहाना बनाकर धान खरीदी कम की जा रही है।
नए साल पर तीन राज्यों के माओवादी कर सकते हैं बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण
शुक्ला ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित 21 क्विंटल प्रति एकड़ की सीमा का पालन नहीं किया जा रहा। कई सोसायटियों में 16 से 19 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक धान नहीं खरीदा जा रहा है। वहीं, अभी भी कई किसान एग्री-स्टैक पोर्टल पर पंजीयन न होने से अपने धान की खरीदी को लेकर भटकते फिर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों का पूरा धान तैयार है, लेकिन रिकॉर्ड में रकबा कम दिखाकर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा। शिकायतों के बावजूद तहसीलों से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक कहीं सुनवाई नहीं हो रही। “सरकार जानबूझकर किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से धान बेचने से रोक रही है” ।
कांग्रेस नेता ने कहा कि एकीकृत किसान पोर्टल और एग्री स्टैक के मिलान में कई किसानों का रकबा “गायब” पाया गया है। लगभग 5 लाख हेक्टेयर फसल क्षेत्र का पंजीयन कम हुआ है, और कई जगह डिजिटल सर्वे में खड़ी फसल को ‘निरंक’ बता दिया गया है। इससे किसान धान बेचने के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। शुक्ला ने चेतावनी दी कि यदि किसानों की समस्या का तत्काल समाधान नहीं किया गया, तो कांग्रेस सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी।
छत्तीसगढ़ में 708 गांवों का पता नहीं! जनगणना से पहले बड़ा खुलासा

