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सिमडेगा। झारखंड के सिमडेगा जिले का प्रसिद्ध रामरेखा धाम इस वर्ष इतिहास रचने जा रहा है। पहली बार यहां आयोजित होने वाला राजकीय रामरेखा महोत्सव राज्य के सांस्कृतिक और धार्मिक गौरव का प्रतीक बनेगा। 4 से 6 नवंबर तक चलने वाले इस महोत्सव में झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। इस पवित्र स्थल को त्रेता युग में भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के वनवास काल से जुड़ा माना जाता है।
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त्रेता युग की यादें संजोए रामरेखा धाम
जनश्रुति के अनुसार भगवान श्रीराम ने वनवास काल के दौरान इसी स्थान की एक गुफा में कुछ समय विश्राम किया था। कहा जाता है कि बारिश से माता सीता की रक्षा के लिए भगवान राम ने अपने कर-कमलों से गुफा पर एक रेखा खींची थी, जिसके कारण इस स्थान का नाम रामरेखा धाम पड़ा। आज भी यहां भगवान के पदचिह्न, सीता चूल्हा, लक्ष्मण कुंड और गुप्त गंगा जैसे पौराणिक प्रमाण मौजूद हैं।

राजकीय दर्जा मिलने से बदलेगा स्वरूप
हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला पारंपरिक मेला इस बार नई पहचान के साथ आयोजित किया जा रहा है। इसे पहली बार राजकीय मेला का दर्जा मिला है। इससे न केवल आयोजन और भी भव्य होगा, बल्कि रामरेखा धाम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान भी मिलेगी।
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महोत्सव की विशेष झलकियां
सांस्कृतिक प्रस्तुति: झारखंड, बिहार, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार लोकनृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे। धार्मिक अनुष्ठान: प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण की पूजा-अर्चना के साथ अखंड भजन संध्या का आयोजन होगा।
प्रशासनिक तैयारी: श्रद्धालुओं के लिए हेलीपैड, पेयजल, पार्किंग और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की गई है।
प्लास्टिक पर रोक: पर्यावरण संरक्षण के लिए मेले में प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
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भक्ति के साथ प्रकृति का संगम
घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा यह धाम न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य का भी अद्भुत उदाहरण है। यहां की वादियों में “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंजता वातावरण भक्तों को आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।
आस्था जो सीमाओं से परे है
रामरेखा धाम की विशेषता यह है कि यहां न केवल हिंदू श्रद्धालु, बल्कि अन्य समुदायों के लोग भी बड़ी संख्या में आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां सुख-समृद्धि और शांतिपूर्ण जीवन की कामना के लिए सभी धर्मों के लोग एकत्र होते हैं — यह दृश्य धार्मिक एकता का प्रतीक बन चुका है।

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‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से गूंजेगा सिमडेगा
राजकीय रामरेखा महोत्सव के दौरान पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो उठेगा। हजारों दीपों की रोशनी, मंत्रोच्चारण, भजन-कीर्तन और लोकसंस्कृति के रंगों से सजी यह भूमि भगवान श्रीराम के चरणों से पवित्र मानी जाती है। ऐसा प्रतीत होगा मानो स्वयं प्रभु श्रीराम अपने भक्तों का आशीर्वाद देने पधार आए हों।
यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि झारखंड की आस्था, परंपरा और गौरव का उत्सव है जहां धर्म, संस्कृति और प्रकृति एक साथ झुकते हैं श्रीराम के चरणों में।
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