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नई दिल्ली। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अब नए शिक्षा कार्यक्रम ‘राष्ट्रनीति’ के तहत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इतिहास, विचारधारा और सामाजिक कार्यों की जानकारी दी जाएगी। यह घोषणा दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मंगलवार को की।
मंत्री सूद ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में नागरिक और सामाजिक चेतना विकसित करना है। उन्होंने कहा कि “मौलिक कर्तव्यों, नैतिक शासन और राष्ट्रीय गौरव” जैसे विषयों पर आधारित यह पाठ्यक्रम कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए तैयार किया गया है।
क्या पढ़ाया जाएगा ‘राष्ट्रनीति’ में?
- आरएसएस की स्थापना, इतिहास और विचारधारा
- स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस कार्यकर्ताओं की भूमिका
- सामाजिक कार्यों में आरएसएस का योगदान
- प्राकृतिक आपदाओं जैसे केदारनाथ त्रासदी, बिहार बाढ़ और कोविड महामारी में संघ की भूमिका
- रक्तदान, खाद्य वितरण जैसे सेवाभावी कार्य
सूत्रों के अनुसार, इस अध्याय का उद्देश्य छात्रों को संगठन की कार्यशैली से परिचित कराना और इसके बारे में समाज में बनी गलत धारणाओं को दूर करना भी है।‘राष्ट्रनीति’ पाठ्यक्रम में आरएसएस के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अन्य प्रमुख व्यक्तित्वों जैसे वीर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
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आरएसएस को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने के फैसले को लेकर आने वाले दिनों में राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया हो सकती है। हालांकि सरकार का कहना है कि इसका मकसद नागरिक कर्तव्यों की समझ और राष्ट्र के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाना है, न कि किसी राजनीतिक विचारधारा का प्रचार।अब देखना यह है कि यह पहल छात्रों को किस तरह प्रभावित करती है और समाज में इसे किस तरह से लिया जाता है।

