312 माओवादी ढेर, 836 गिरफ्तार और 1639 ने आत्मसमर्पण किया
भारत सरकार के “नक्सल मुक्त भारत” के संकल्प की दिशा में वर्ष 2025 एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में देश नक्सलवाद के खात्मे की ओर निर्णायक रूप से बढ़ चला है। इस वर्ष सुरक्षा बलों को मिली उपलब्धियां अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ चुकी हैं।
अब तक कुल 312 माओवादी मारे जा चुके हैं। इनमें भाकपा (माओवादी) के महासचिव सहित केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो के आठ अन्य शीर्ष नेता शामिल हैं। इसी अवधि में 836 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। आत्मसमर्पण करने वालों की संख्या भी ऐतिहासिक रही है, जिनमें एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य समेत 1639 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा को अपनाया है। जहां 2013 में देश के 126 जिले नक्सलवाद से प्रभावित थे, अब यह संख्या घटकर सिर्फ 11 रह गई है। सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या भी 6 से घटकर अब केवल 3 हो गई है, जो सभी छत्तीसगढ़ के हैं—बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर।
ऑपरेशनल रिकॉर्ड (जनवरी–अक्टूबर 2025)
| आँकड़ा | संख्या |
|---|---|
| ✅ मारे गए माओवादी | 312 |
| 🚓 गिरफ्तार | 836 |
| 🏳 आत्मसमर्पण | 1,639 |
| 🎯 पोलित ब्यूरो / केंद्रीय समिति सदस्य मारे गए | 9 |
| 🏳 आत्मसमर्पण करने वाले वरिष्ठ सदस्य | 2 |

सुरक्षा बलों ने माओवादियों के गढ़ में गहराई तक घुसकर उनके नेटवर्क को ध्वस्त करने का काम किया है। छत्तीसगढ़ में ही सीआरपीएफ और उसकी विशेष इकाई कोबरा ने सौ से अधिक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस यानी सुरक्षा कैंप स्थापित कर लिए हैं। यही कैंप अब नक्सलियों के लिए चक्रव्यूह बनते जा रहे हैं, जिनसे निकल पाना उनके लिए लगभग असंभव हो गया है।
सुरक्षा बलों की उपलब्धियां (2025)
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🚩 100+ Forward Operating Bases (FOB) स्थापित (केवल छत्तीसगढ़ में)
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🔫 बरामद:
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64 हथियार
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55 IED
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2656 राउंड गोलियां
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94 ग्रेनेड
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2 बम
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1006 डेटोनेटर
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113.85 किलो विस्फोटक
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₹1.77 लाख नकद
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45 जिलेटिन स्टिक
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4 किलो नशीला पदार्थ
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सितंबर 2025 तक सुरक्षाबलों ने विभिन्न अभियानों में भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की है। इनमें 64 हथियार, 2656 राउंड गोलियां, 94 ग्रेनेड, 55 आईईडी, 113.85 किलो विस्फोटक, 1006 डेटोनेटर, 45 जिलेटिन स्टिक और नकदी व नशीले पदार्थ शामिल हैं। इस तरह के लगातार ऑपरेशनों से नक्सलियों की रसद और हथियार आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।2010 की तुलना में नक्सली हिंसा में 73 प्रतिशत और नागरिकों तथा सुरक्षाबलों की मौतों में 86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट बताती है कि नक्सली आंदोलन अब अपने अंतिम चरण में है।
नक्सल-प्रभावित जिलों में गिरावट
| वर्ष | सबसे अधिक प्रभावित जिले | कुल प्रभावित जिले |
|---|---|---|
| 2013 | 126 | — |
| 2018 | — | 90 |
| 2021 | — | 70 |
| 2024 | 6 | 38 |
| 2025 | 3 (बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर) | 11 |
इसी दौरान सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को भी तेज़ किया है। पिछले 10 वर्षों में 14,400 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं, जो पहले के दशक में बने 2,900 किलोमीटर से पांच गुना अधिक है। दूरसंचार क्षेत्र में भी सरकार ने बड़ी सफलता हासिल की है, जहां 6,000 मोबाइल टावर लगाए गए, जिनमें से 3551 को 4जी सेवा से जोड़ दिया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव हुआ है। 2014 से पहले जहां केवल 38 एकलव्य मॉडल स्कूल स्वीकृत हुए थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 216 हो चुकी है, जिनमें से 165 स्कूल पहले से ही संचालित हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (2014–2024)
| सेक्टर | 2004–14 | 2014–24 |
|---|---|---|
| 🛣 सड़कों का निर्माण | 2,900 किमी | 14,400 किमी |
| 📡 मोबाइल टावर | नगण्य | 6,000 (3551 पर 4G) |
| 🏫 एकलव्य स्कूल | 38 | 216 (165 क्रियाशील) |
| 🏢 फोर्टीफाइड पुलिस स्टेशन | 66 | 544 |
सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने के लिए 544 फोर्टीफाइड पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं, जो 2004 से 2014 के बीच बने मात्र 66 पुलिस स्टेशनों से कई गुना अधिक हैं। इसके साथ ही 2019 से अब तक 350 से अधिक सुरक्षा कैंप भी स्थापित किए जा चुके हैं, जिनमें अकेले 2025 में 100 कैंप स्थापित किए गए।
वित्तीय निवेश
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LWE सुरक्षा योजना (2014–2024): ₹3,006 करोड़
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केंद्रीय सहायता योजना: ₹1,055 करोड़
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विशेष केंद्रीय सहायता (SCA): ₹3,590 करोड़
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कुल अनुमोदित राशि: ₹14,367 करोड़ (₹12,000 करोड़ खर्च
मोदी सरकार ने पिछले दस वर्षों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं, जबकि कुल 14,367 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं। यह निवेश न केवल सुरक्षा बल्कि सामाजिक विकास को भी गति देने में सहायक सिद्ध हुआ है।केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि मार्च 2026 तक भारत को पूरी तरह से नक्सलवाद मुक्त कर दिया जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि नक्सलियों के पास अब दो ही विकल्प बचे हैं — आत्मसमर्पण करें या मुठभेड़ में मारे जाने को तैयार रहें।
हिंसा में गिरावट (2010–2023)
| संकेतक | गिरावट (%) |
|---|---|
| हिंसक घटनाएं | 73% |
| नागरिक + सुरक्षाबलों की मौतें | 86% |
कभी नेपाल के पशुपति से लेकर आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक फैले लाल गलियारे का जो सपना नक्सलियों ने देखा था, वह अब इतिहास बनने की कगार पर है। अब उन इलाकों में सिर्फ बंदूक की आवाज़ नहीं, बल्कि विकास, शिक्षा, संचार और शांति की गूंज सुनाई दे रही है।

