रायपुर छत्तीसगढ़ सरकार ने युक्तियुक्तकरण अर्थात Rationalization के तहत हुए शिक्षकों के स्थानांतरण और कार्यमुक्ति में पारदर्शिता लाने तथा शिक्षकों की आपत्तियों के प्रभावी निपटारे के लिए दो स्तरीय आपत्ति निवारण समिति का गठन किया है अब शिक्षक प्रशासन के निर्णयों के विरुद्ध सुनवाई का अधिकार रखेंगे जिससे हज़ारों प्रभावित शिक्षकों को राहत मिलने की उम्मीद है
क्या है युक्तियुक्तकरण विवाद
राज्य में स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती को संतुलित करने के उद्देश्य से युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया चलाई गई थी लेकिन इसमें कई शिक्षकों को बिना स्पष्ट मापदंड के अतिशेष घोषित कर अन्य विद्यालयों में स्थानांतरित कर दिया गया अनेक मामलों में जिला शिक्षा अधिकारी और विकासखंड शिक्षा अधिकारी स्तर पर पक्षपात और भेदभावपूर्ण निर्णय सामने आए हैं
अब शिक्षक रख सकेंगे अपनी बात
सरकार के नए आदेश के अनुसार अब शिक्षक अपने साथ हुए अन्याय के विरुद्ध पंद्रह दिन की समयसीमा के भीतर आपत्ति प्रस्तुत कर सकेंगे यह आपत्तियाँ पहले संभागीय समिति और फिर आवश्यक होने पर संचालनालय स्तरीय समिति में सुनी जाएंगी
दो स्तरीय समितियों की संरचना और कार्य
संभागीय समिति में अध्यक्ष होंगे संबंधित संभागायुक्त
इसके सदस्य होंगे स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक और डीपीआई कार्यालय के सहायक संचालक
यह समिति जिला स्तरीय समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करेगी और स्वतंत्र निर्णय दे सकेगी
संचालनालय स्तरीय समिति की अध्यक्षता करेंगे स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव
इस समिति में अन्य वरिष्ठ अधिकारी सदस्य होंगे
यह राज्य स्तर पर अंतिम अपील की सुनवाई और निराकरण हेतु कार्य करेगी
शिक्षकों को अब एकतरफा निर्णय का शिकार नहीं होना पड़ेगा, उन्हें न्यायसंगत सुनवाई का अवसर मिलेगा, जिला शिक्षा अधिकारियों की मनमानी पर नियंत्रण लगेगा, शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही बढ़ेगी, शिक्षकों के मनोबल में वृद्धि होगी और उनमें विश्वास लौटेगा
शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया
प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत किया है, उनका कहना है कि वे लंबे समय से शासन से एक आपत्ति निवारण मंच की मांग कर रहे थे
यह आदेश शिक्षकों को न्याय दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है
छत्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था में विश्वास और पारदर्शिता बहाल करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है
अब यह देखना अहम होगा कि ये समितियाँ कितनी सक्रिय और निष्पक्ष ढंग से कार्य करती हैं
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