आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होने वाला शारदीय नवरात्रि का पर्व इस वर्ष 22 सितंबर, सोमवार से प्रारंभ हो गया है। इस बार देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हुआ है, जो सुख-समृद्धि, राष्ट्र उन्नति और सर्वकल्याण का प्रतीक माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से इस नवरात्र में उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है, जिसे अत्यंत शुभ माना गया है।
नवरात्र के प्रथम दिन घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। इस बार घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 6 बजकर 9 मिनट से प्रारंभ होकर 8 बजकर 6 मिनट तक रहा, जिसकी अवधि 1 घंटा 56 मिनट रही। इसके अलावा दूसरा मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक उपलब्ध रहा। श्रद्धालुओं ने विधि-विधानपूर्वक कलश स्थापना कर मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की।
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि केवल एक पर्व ही नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और भक्ति का उत्सव है। शास्त्रों में उल्लेख है कि नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की आराधना की जाती है।
यह पर्व भक्ति, उपवास, साधना, भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजनों से पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देता है। मान्यता है कि नवरात्र के दौरान यदि साधक सच्चे मन से मां दुर्गा का स्मरण करे तो उसके समस्त कष्टों का निवारण होता है और जीवन में शक्ति, समृद्धि एवं मंगल की प्राप्ति होती है।
नवरात्र के इन नौ दिनों तक घर-घर, मंदिरों और भव्य पंडालों में पूजा-पाठ का आयोजन होगा। नगरों और ग्रामों में आकर्षक सजावट के बीच श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचकर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। दशहरे तक चलने वाला यह पर्व बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की विजय का दिव्य प्रतीक है।
आज प्रतिपदा तिथि के अवसर पर घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा के साथ शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो चुका है और संपूर्ण वातावरण ‘जय माता दी’ के उद्घोष से गूंज रहा है।

