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रायपुर। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों से बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ कई तरह के गैर-शिक्षकीय कार्य कराए जाने की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। कभी पशु गणना, तो कभी धान खरीदी केंद्रों में ड्यूटी, राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता सूची सुधार, आयुष्मान कार्ड, सर्वे और अन्य विभागीय कामों में शिक्षकों को लगा दिया जाता है। इससे कक्षाओं में पढ़ाई गंभीर रूप से प्रभावित होती है तथा शिक्षक अपने मूल कार्य से दूर हो जाते हैं।
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शिक्षक संगठनों ने लगातार इसका विरोध किया और यह मांग उठाई कि पढ़ाई को केंद्र में रखते हुए शिक्षकों को अनावश्यक कामों से मुक्त किया जाए। इस मामले पर कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। विभाग की ओर से कहा गया है कि अब शिक्षकों से चुनाव और निर्वाचन कार्य को छोड़कर किसी भी प्रकार का गैर-शिक्षकीय कार्य नहीं कराया जाएगा। सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है, जिसके आधार पर जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
विभाग का तर्क है कि छात्रों के भविष्य के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। जब शिक्षक लगातार बाहरी कार्यों में व्यस्त रहते हैं, तो सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि शिक्षकों की ड्यूटी अन्य विभागों में लगाए जाने पर अब पूरी तरह रोक लगाई जाएगी और यदि किसी विशेष परिस्थिति में ड्यूटी जरूरी भी हुई, तो जिले के अधिकारी शिक्षा विभाग को सूचित करेंगे, ताकि स्कूलों में पढ़ाई बाधित न हो।
इधर, मैदान में कार्यरत शिक्षक इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह कदम अत्यंत आवश्यक था। वे अब पूरी एकाग्रता के साथ विद्यार्थियों की पढ़ाई में अपना योगदान दे सकेंगे। विभाग का यह कदम सरकारी स्कूलों में पढ़ाई को पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभाएगा।

