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छत्तीसगढ़ में निर्वाचन कार्य और विद्यालयी अनुशासन से जुड़े मामलों में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों को निलंबित कर दिया है। बस्तर, बलौदाबाजार और जशपुर जिले में सामने आए इन मामलों ने न केवल सरकारी कार्यप्रणाली में लापरवाही की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि प्रशासन ने यह भी साफ कर दिया है कि संवेदनशील कार्यों और विद्यालयों में अनुशासनहीनता किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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सबसे पहले बस्तर जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान बड़ी गड़बड़ी सामने आई। प्राथमिक शाला खामेश्वरीपारा, राजनगर के प्रधानाध्यापक स्वतंत्र अवस्थी, जिन्हें BLO की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, एसडीएम बकावण्ड के आकस्मिक निरीक्षण में शराब के नशे में पाए गए। जब अधिकारी ने कार्य प्रगति की जांच की, तो उन्होंने न केवल अभद्र व्यवहार किया, बल्कि दस्तावेज़ भी ठीक से प्रस्तुत नहीं कर पाए। मेडिकल परीक्षण में शराब सेवन की पुष्टि होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी बस्तर ने उन्हें तत्काल निलंबित करते हुए मुख्यालय दरभा में अटैच कर दिया। निलंबन अवधि में उन्हें नियमों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि निर्वाचन कार्य जैसे गंभीर दायित्वों में इस तरह की लापरवाही पूरे तंत्र को प्रभावित करती है।
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इसी तरह बलौदाबाजार जिले में भी निर्वाचन नामावली के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य (SIR 2026) में लापरवाही के मामलों को गंभीरता से लिया गया है। गणना पत्रक के वितरण, वापसी और ऑनलाइन एंट्री के कार्य में देरी व उदासीनता पाए जाने पर तीन शिक्षकों—प्रितम कुमार ध्रुव, अजय प्रकाश बंजारे और द्रोपति ध्रुव—को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देश पर की गई। अधिकारियों का कहना है कि नामावली की त्रुटिहीन तैयारी और समयबद्ध ऑनलाइन एंट्री अत्यंत आवश्यक है, और इस कार्य में किसी भी प्रकार की चूक स्वीकार्य नहीं होगी।
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इधर, जशपुर जिले से एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मामला सामने आया है जिसने पूरे शिक्षा विभाग को हिला दिया। सुरंगपानी स्थित शासकीय माध्यमिक शाला के प्रधान पाठक गणेश राम चौहान पर दो दर्जन से अधिक नाबालिग आदिवासी छात्राओं ने शराब के नशे में स्कूल आने, अश्लील टिप्पणियाँ करने, मानसिक प्रताड़ना देने और अपने घर बुलाकर कपड़े धुलवाने तक के आरोप लगाए हैं। महिला शिक्षिकाओं ने भी उनके खिलाफ दुर्व्यवहार और धमकी देने की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के बाद बीईओ द्वारा गठित जांच टीम ने छात्राओं और शिक्षिकाओं के बयान दर्ज किए, जिनमें तथ्य चौंका देने वाले थे। आरोप सही पाए जाने पर प्रधान पाठक को तत्काल निलंबित कर दिया गया।
इन सभी घटनाओं के बाद प्रशासन की मंशा और स्पष्ट दिखाई देती है। निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने से लेकर विद्यालयों में सुरक्षित वातावरण बनाए रखने तक, किसी भी प्रकार की लापरवाही, अनैतिक गतिविधि या अनुशासनहीनता पर तत्काल और कठोर कदम उठाए जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसी कार्रवाइयों से सरकारी कर्मचारियों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि न तो चुनावी तंत्र प्रभावित हो और न ही स्कूली बच्चों की सुरक्षा से समझौता किया जाए।
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