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गुमला। देश के इतिहास में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में वीरता का ऐसा अद्वितीय अध्याय दर्ज है, जिसे आज भी भारतीय सेना गर्व के साथ याद करती है। इस युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ा देने वाले परमवीर अल्बर्ट एक्का का नाम भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। अब उनकी अमर शौर्यगाथा बड़े पर्दे पर उतरने जा रही है। फिल्म की शूटिंग गुमला जिले के उनके पैतृक गांव जारी में शुरू हो गई है। फिल्म के नायक वरदान पुरी (अमरीश पुरी के पोते) सहित पूरी टीम जारी गांव पहुँच चुकी है। तीन दिनों तक गांव में शूटिंग चलेगी। इस खबर ने पूरे जिले में उत्साह और गर्व का माहौल पैदा कर दिया है।
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गुमला के साधारण परिवार में पैदा हुए परमवीर अल्बर्ट एक्का
27 दिसंबर 1942 को जारी गांव में जन्मे अल्बर्ट एक्का आदिवासी परिवार से थे। उनके पिता जूलियस एक्का और माता मरियम एक्का कृषि कार्य करते थे। बचपन से ही उन्हें शिकार का शौक था—यह कौशल आगे चलकर युद्धभूमि में उनके लिए सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ। 27 दिसंबर 1962 को उनकी भर्ती बिहार रेजिमेंट में हुई। जनवरी 1968 में ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स की स्थापना के बाद उनका ट्रांसफर इस नई यूनिट में हो गया। यहीं से उनकी सैनिक यात्रा ने नया मोड़ लिया।
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1971 में बना इतिहास: गंगासागर की लड़ाई में दिखाई अदम्य वीरता
भारत-पाक युद्ध के दौरान अल्बर्ट एक्का को पूर्वोत्तर मोर्चे पर तैनात किया गया। 3 दिसंबर 1971 को त्रिपुरा के ब्राह्मणबेरिया जिले के गंगासागर क्षेत्र में हुई हिली लड़ाई में उन्होंने अपनी वीरता का अद्भुत प्रदर्शन किया। इस युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी और उनके साथ लड़ चुके सूबेदार मेजर सहदेव महतो बताते हैं कि दुश्मन की गोलियों से अल्बर्ट एक्का का पेट छलनी हो गया था। गोलियां इतनी लगीं कि उनकी आंतें बाहर निकल आई थीं। लेकिन वे रुके नहीं। उन्होंने अपनी आंतों को वापस पेट में धकेला, कपड़े से पेट बाँधा और हथियार उठाकर दुश्मन के बंकर पर टूट पड़े। उन्होंने कई पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर किया और ग्रेनेड से दुश्मन का बंकर उड़ा दिया। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद आखिरी पल तक उन्होंने मोर्चा नहीं छोड़ा। अस्पताल ले जाने पर उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। वीरता की पराकाष्ठा दिखाते हुए 29 वर्ष की उम्र में वे शहीद हो गए। भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया। उनकी पत्नी बलमदीना एक्का ने राष्ट्रपति वी.वी. गिरि से परमवीर चक्र ग्रहण किया था। उनका पुत्र विंसेंट एक्का आज भी अपने पिता की स्मृतियों को संजो कर रखे हुए हैं। 2021 में बलमदीना एक्का का निधन हुआ।
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जारी गांव में फिल्म की शूटिंग शुरू होने से ग्रामीण बेहद उत्साहित हैं। लोगों का कहना है कि यह फिल्म न केवल अल्बर्ट एक्का को श्रद्धांजलि है, बल्कि गुमला और झारखंड की महान विरासत को भी दुनिया के सामने लाएगी।
अब उनकी वीरता बड़े पर्दे पर: जारी गांव में शुरू हुई फिल्म की शूटिंग
लांस नायक अल्बर्ट एक्का की बहादुरी को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से फिल्म निर्माताओं ने उनकी जीवनगाथा पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया है। फिल्म का संभावित नाम ‘बैटल ऑफ गंगासागर’ है।
फिल्म में—
- वरदान पुरी – अल्बर्ट एक्का के किरदार में
- साक्षी मोकदान – उनकी पत्नी बलमदीना एक्का के किरदार में
फिल्म के लेखक–निर्देशक सुमंत रतूरी, निर्माता सत्यवती रतूरी, रंजना काले (HVJ मीडिया) और सागर गौड़ा (मायराधा मोशन पिक्चर्स) हैं। फिल्म में 1971 के युद्ध के दौरान अल्फा टीम के मेजर अशोक तारा, ब्रावो टीम के मेजर कोहली और कैप्टन चाना जैसे अधिकारियों की भूमिकाओं को भी दर्शाया जाएगा। लगभग 350 स्थानीय कलाकारों को फिल्म में शामिल किया गया है।
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“अलबर्ट एक्का को निभाना मेरे लिए सम्मान” – वरदान पुरी
फिल्म के नायक वरदान पुरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,“यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक ऐसे वास्तविक हीरो को श्रद्धांजलि है जिसने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिए। इस किरदार को निभाना मेरे लिए गर्व और चुनौती दोनों है।”

