नई दिल्ली। भारत सरकार ने बहुप्रतीक्षित जनगणना 2026 की प्रक्रिया का शेड्यूल जारी कर दिया है। जनगणना के पहले चरण की शुरुआत 1 अप्रैल 2026 से होगी, जिसकी पुष्टि रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर की है। यह भारत की 16वीं राष्ट्रीय जनगणना होगी, जबकि आजादी के बाद यह आठवीं बार होगी जब इतनी बड़ी और महत्वपूर्ण गणना कराई जा रही है।
दो चरणों में होगी जनगणना
जनगणना प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी:
- पहला चरण – हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (House Listing Operation):
यह चरण 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा। इसमें हर घर की बनावट, सुविधाएं और भौतिक स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी इकट्ठा की जाएगी – जैसे घर की दीवार, छत, फर्श की सामग्री, कमरे की संख्या, बिजली, पानी, शौचालय, ईंधन, वाहन और इंटरनेट जैसी सुविधाएं। - दूसरा चरण – जनसंख्या गणना:
यह चरण 1 फरवरी 2027 से आरंभ होगा। इसमें प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक जानकारी दर्ज की जाएगी।
पूरी तरह डिजिटल होगी जनगणना
इस बार की जनगणना इतिहास में पहली बार डिजिटल माध्यम से की जाएगी। इसके लिए एक विशेष मोबाइल ऐप तैयार किया गया है, जिसके जरिए गणनाकार जानकारी दर्ज करेंगे। साथ ही नागरिकों को भी स्वप्रविष्टि (self-enumeration) की सुविधा दी जाएगी, जिससे वे स्वयं अपनी जानकारी ऑनलाइन भर सकेंगे।
पूछे जाएंगे ये प्रमुख सवाल
जनगणना के दौरान लोगों से घर से जुड़ी कई जरूरी जानकारियां ली जाएंगी:
- क्या घर में मोबाइल, टीवी, रेडियो, इंटरनेट या वाहन हैं?
- खाना पकाने में किस प्रकार का ईंधन प्रयोग होता है?
- पीने का पानी किस स्रोत से आता है?
- शौचालय, नहाने और खाना बनाने की सुविधा कैसी है?
- घर में कितने शादीशुदा जोड़े हैं, मुखिया महिला है या नहीं, और क्या वह अनुसूचित जाति/जनजाति से है?
34 लाख से अधिक कार्मिक तैनात होंगे
इस विशाल कार्य को संपन्न करने के लिए सरकार की योजना है कि 34 लाख से अधिक पर्यवेक्षक और गणनाकार, और 1.3 लाख से अधिक जनगणना अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। राज्य सरकारों और जिला प्रशासन से कहा गया है कि वे इन नियुक्तियों को जल्द पूरा करें और जनगणना की तैयारियों को प्राथमिकता दें।
जातिगत आंकड़े भी होंगे एकत्र
इस बार जनगणना की एक बड़ी विशेषता यह होगी कि इसमें जातिगत जानकारी भी जुटाई जाएगी। लंबे समय से सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों की यह मांग थी कि जनगणना में जाति आधारित आंकड़े एकत्र किए जाएं, जिससे योजनाएं अधिक प्रभावशाली बनाई जा सकें। केंद्र सरकार ने इस मांग को स्वीकारते हुए इसके समावेश की पुष्टि की है।
नए भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम
जनगणना 2026 न केवल भारत की जनसंख्या का एक अद्यतन चित्र प्रस्तुत करेगी, बल्कि डिजिटल प्रक्रिया, आत्म-जागरूकता और सामाजिक विश्लेषण की नई राह भी खोलेगी। जाति, संसाधन, सुविधा और आर्थिक स्थिति से जुड़े यह आंकड़े देश के विकास योजनाओं की नींव बनेंगे।