श्रीहरिकोटा। भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज शाम 5 बजकर 40 मिनट पर देश और अमेरिका की संयुक्त परियोजना निसार (NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar) मिशन का प्रक्षेपण किया जाएगा। यह मिशन पृथ्वी की सतह, जंगलों, हिमखंडों और प्राकृतिक आपदाओं पर अभूतपूर्व निगरानी रखेगा। निसार को इसरो के शक्तिशाली जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है।
निसार उपग्रह की खासियत यह है कि इसमें डुअल-बैंड राडार तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसमें नासा का एल-बैंड राडार और इसरो का एस-बैंड राडार लगा है, जिससे यह उपग्रह जमीन के अंदर तक की हलचल और सतही परिवर्तनों को भी बेहद सटीकता से माप सकेगा। यह मिशन आने वाले वर्षों में भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाने में मदद करेगा। इसके अलावा कृषि, वनों की स्थिति और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में भी क्रांतिकारी योगदान देगा।
लगभग 1.5 अरब डॉलर (करीब 11 हजार करोड़ रुपये) की लागत से तैयार यह उपग्रह दुनिया का सबसे महंगा पृथ्वी अवलोकन उपग्रह माना जा रहा है। निसार रोजाना 14 बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और 12 दिन में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा। इसकी मदद से वैज्ञानिक सेंटीमीटर स्तर तक के बदलाव को दर्ज कर सकेंगे।
लॉन्च के बाद उपग्रह लगभग 65 से 90 दिनों तक परीक्षण और समायोजन की प्रक्रिया से गुजरेगा। इसके बाद वैज्ञानिक मिशन का डेटा संग्रह शुरू करेंगे। निसार का डाटा न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के शोधकर्ताओं और सरकारों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और जलवायु परिवर्तन को समझने में वैश्विक स्तर पर मदद मिल सके।
निसार मिशन के प्रक्षेपण के साथ भारत एक बार फिर अपनी अंतरिक्ष इंजीनियरिंग क्षमता का लोहा विश्व को मनवाने जा रहा है। यह मिशन इसरो और नासा के बीच तकनीकी सहयोग का ऐतिहासिक उदाहरण है और आने वाले समय में विज्ञान की नई दिशा तय करेगा।