पुरी, ओडिशा – रविवार तड़के पुरी जिले के श्री गुंडिचा मंदिर के पास हुए एक दर्दनाक हादसे ने रथ यात्रा के उल्लास को मातम में बदल दिया। भीषण भीड़ के बीच मची भगदड़ में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि करीब 50 लोग घायल हो गए। हादसा सुबह करीब 4 बजे उस समय हुआ, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर के निकट एकत्रित थे और दर्शन के लिए आगे बढ़ रहे थे।
पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ एस. स्वैन ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि घायलों को तुरंत निकटवर्ती अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से छह की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है। मृतकों की पहचान बसंती साहू (बोलागढ़), प्रेमकांत मोहंती और प्रवाती दास (दोनों बालिपटना निवासी) के रूप में हुई है। सभी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।
जिला प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और मौके पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात कर भीड़ को नियंत्रित किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है और हालात पर नजर रखी जा रही है।
रथ यात्रा के दौरान पहले भी आई थी स्वास्थ्य आपदा
गौरतलब है कि शुक्रवार को रथ यात्रा के पहले दिन ही भीषण गर्मी और भारी भीड़ के कारण करीब 625 श्रद्धालु बीमार पड़ गए थे। पुरी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. किशोर सतपथी ने बताया था कि अधिकांश लोगों को उल्टी, चक्कर आने और घुटन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। हालांकि, प्राथमिक उपचार के बाद अधिकांश को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी और कोई जनहानि नहीं हुई थी।
हर साल होता है रथ यात्रा का भव्य आयोजन
पुरी में भगवान जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध वार्षिक रथ यात्रा हर वर्ष जून-जुलाई में आयोजित की जाती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर सवार होकर श्रीमंदिर से निकलकर गुंडिचा मंदिर (जिसे प्रभु का मौसीघर कहा जाता है) तक की यात्रा करते हैं। लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से इस पावन अवसर पर पुरी पहुंचते हैं।
हादसा भक्ति में विघ्न, लेकिन प्रशासन मुस्तैद
इस हादसे ने जहां रथ यात्रा के उत्साह पर दुख की छाया डाल दी है, वहीं प्रशासन की तत्परता ने कई जानें बचाने में मदद की है। अधिकारियों का कहना है कि आगे के आयोजनों में भीड़ नियंत्रण और चिकित्सा प्रबंधों को और कड़ा किया जाएगा, ताकि कोई और अनहोनी न हो।
पुरी की यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि आस्था के महासंगम में सुरक्षा और व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देना कितना जरूरी है। श्रद्धालुओं से भी अपील की गई है कि वे संयम और अनुशासन बनाए रखें, ताकि रथ यात्रा का यह पुण्य पर्व शांति और श्रद्धा के साथ संपन्न हो सके।