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भगवान स्कंद, जिन्हें मुरुगन, सुब्रह्मण्य, कार्तिकेय और कुमारस्वामी के नाम से भी जाना जाता है, युद्ध और शक्ति के देवता माने जाते हैं। भक्तों के लिए स्कंद षष्ठी का पर्व अत्यंत शुभ और सिद्धिदायक माना जाता है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। परंपरा के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से सुख, समृद्धि, साहस, विजय और आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है। इस वर्ष यह पावन पर्व 26 नवंबर, बुधवार को मनाया जा रहा है।

स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त:
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 25 नवंबर रात 10:56 बजे से प्रारंभ होकर 27 नवंबर रात 12:01 बजे तक रहेगी। परंपरा के अनुसार, इस तिथि का उदयकालीन समय सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इस अवधि में भगवान कार्तिकेय की पूजा, मंत्र-जप, व्रत और कथा-पाठ अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।

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व्रत और कथा का महत्व:
मान्यता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से व्यक्ति काम, क्रोध, मोह, अहंकार और असुर-स्वभाव जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों से मुक्ति पाता है। भगवान स्कंद की उपासना साहस, आत्मबल और मनोबल प्रदान करती है। इसलिए पूजा से पहले या पूजा के दौरान स्कंद षष्ठी व्रत कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय असुरों ने देवताओं पर भीषण अत्याचार शुरू कर दिए थे। देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से सहायता मांगी। ब्रह्मा ने बताया कि असुरों का नाश केवल भगवान शिव के पुत्र द्वारा संभव है। उस समय शिवजी माता सती के वियोग में समाधि में लीन थे।

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देवताओं ने शिव को जगाने के लिए कामदेव की सहायता ली। कामदेव के पुष्प-बाण से शिवजी की तपस्या भंग हुई, जिसके परिणामस्वरूप शिवजी ने अपनी तीसरी आँख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया। इसके बाद शिवजी की दृष्टि माता पार्वती की ओर गई और उनका शुभ विवाह संपन्न हुआ। समय आने पर माता पार्वती से भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ। बड़े होकर उन्होंने असुर तारकासुर का वध किया और देवताओं को उनका स्थान दिलाया। क्योंकि कार्तिकेय का जन्म षष्ठी तिथि पर हुआ था, इसलिए इस दिन को उनके पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

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अंत में, स्कंद षष्ठी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्मबल, साहस और आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करने वाला दिन भी माना जाता है। भक्त मानते हैं कि इस व्रत और पूजा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

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