Rohit Sharma का जलवा! पहली बार दुनिया के नंबर-1 वनडे बल्लेबाज बने
सनातन परंपरा में कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि बहुत शुभ मानी जाती है, क्योंकि इसी दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इस पवित्र दिन को मां लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाने वाली तुलसी जी और भगवान विष्णु के प्रतीक शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सही विधि और शुभ मुहूर्त में पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है। साल 2025 में तुलसी विवाह का दिन और उसका शुभ मुहूर्त खास महत्व रखता है। भक्तजन इस दिन श्रद्धा से तुलसी और शालिग्राम की पूजा-अर्चना करते हैं ताकि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हों और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे।
SIR पर बोले पूर्व विधायक यू डी मिंज: लोकतंत्र की पारदर्शिता के लिए हर मतदाता तक पहुंच ज़रूरी
2025 में कब है तुलसी विवाह
हिंदू पंचांग के अनुसार तुलसी विवाह की पावन तिथि इस साल 2 नवंबर को है। इसी दिन पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह से तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा।
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह करने के लिए दिनभर में कई शुभ समय माने गए हैं। इन मुहूर्तों में विवाह करना सबसे शुभ माना जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:59 से 5:49 तक
प्रातः संध्या: सुबह 5:24 से 6:39 तक
अमृत काल: सुबह 9:29 से 11:00 तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:45 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:04 से 6:30 तक
नक्सलियों का बड़ा आत्मसमर्पण: 51 नक्सली हुए सरेंडर, 66 लाख का इनाम था घोषित
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है, जिन्हें दूल्हे की तरह सजाया जाता है। भगवान शालिग्राम ईश्वर की शक्ति के प्रतीक हैं, जबकि तुलसी माता प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस विवाह से प्रकृति और भगवान के बीच संतुलन का संदेश मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान से तुलसी विवाह करता है, उसके वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का वास होता है। तुलसी विवाह करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं।
अब KYC के बाद KYV: अपने वाहन को जानिए, वरना बंद होगा FASTag
गन्ने से सजता है तुलसी विवाह का मंडप
तुलसी विवाह के दिन गन्ने से मंडप बनाया जाता है। माना जाता है कि तुलसी जी को गन्ना बहुत प्रिय होता है, इसलिए विवाह का मंडप गन्ने से सजाया जाता है। इस दिन भगवान की पूजा बेर, चने की भाजी और आंवले से की जाती है। पूजा के दौरान हल्दी की गांठ, शालिग्राम, गणेश जी और विष्णु जी की प्रतिमा, श्रृंगार सामग्री, बताशा, फल-फूल, दीपक, हल्दी, हवन सामग्री, लाल चुनरी, अक्षत (चावल), रोली, कुमकुम, तिल, घी, आंवला और मिठाई का उपयोग किया जाता है। यह सब मिलकर तुलसी विवाह को और भी पवित्र और शुभ बना देता है।

