रायपुर
हर साल 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद है लोगों को यह समझाना कि ओजोन परत हमारे लिए कितनी जरूरी है और इसे बचाना अब हमारी जिम्मेदारी है।
ओजोन परत, जो धरती के ऊपर वायुमंडल में मौजूद होती है, हमें सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है। ये किरणें त्वचा के कैंसर, आंखों की बीमारियों और फसलों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए ओजोन परत को धरती का सुरक्षा कवच कहा जाता है।
ओजोन दिवस का इतिहास भी बेहद अहम है। जब वैज्ञानिकों ने ओजोन परत में एक बड़ा छेद देखा, तो पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई। इसके बाद 1985 में वियना कन्वेंशन लाया गया और 16 सितंबर 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर सहमति बनी। इस समझौते के तहत ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों पर नियंत्रण किया गया। इसके बाद 1994 में संयुक्त राष्ट्र ने 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य है लोगों को ओजोन परत की अहमियत बताना, उसे बचाने के उपायों पर चर्चा करना और यह दिखाना कि जब दुनिया एक साथ आती है, तो बड़े से बड़ा पर्यावरणीय संकट भी हल किया जा सकता है।
ओजोन परत को सुरक्षित रखने के लिए हम सभी को कुछ साधारण लेकिन प्रभावशाली कदम उठाने चाहिए। जैसे कि सीएफसी मुक्त उपकरणों का इस्तेमाल करना, प्लास्टिक और रसायनों का सीमित प्रयोग करना, अधिक से अधिक पेड़ लगाना और सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों को अपनाना।
ओजोन परत को बचाना मतलब अपने जीवन को सुरक्षित बनाना। अगर यह परत नहीं होगी, तो हम स्वस्थ जीवन नहीं जी पाएंगे। इस ओजोन दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम इस नीली ढाल की रक्षा करेंगे। यह हमारे लिए, हमारे बच्चों के लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद जरूरी है।