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छत्तीसगढ़। राज्य के 12 हजार से अधिक मनरेगा कर्मचारियों को बीते चार माह से वेतन नहीं मिला है, जिससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। जून तक का वेतन लंबित होने के कारण न केवल परिवार चलाना मुश्किल हो गया है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
मनरेगा कर्मियों का कहना है कि उन्हें ग्राम पंचायतों में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनमें प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), स्वच्छ भारत मिशन, पीएम जनमन योजना और अन्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की योजनाएं शामिल हैं। इसके अलावा इन कर्मियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है, ताकि पलायन पर नियंत्रण रखा जा सके।
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लेकिन बीते चार माह से वेतन न मिलने की वजह से कर्मियों को ड्यूटी पर जाते समय भी मानसिक तनाव रहता है। ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को आवागमन में अधिक खर्च होता है, जबकि वेतन न मिलने से उन्हें कर्ज लेकर काम चलाना पड़ रहा है। कई कर्मचारी बिजली बिल, राशन, बच्चों की फीस जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
एक मनरेगा कर्मचारी ने बताया, “बच्चों का स्कूल खुल चुका है लेकिन फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं। चार माह से वेतन नहीं मिला है, ऐसे में घर कैसे चले? कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। अब उम्मीद भी टूटने लगी है।”
मनरेगा कर्मचारियों ने शासन से मांग की है कि जल्द से जल्द उनका लंबित वेतन जारी किया जाए, ताकि वे मानसिक और आर्थिक राहत महसूस कर सकें।