*छत्तीसगढ़ एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है एक तरफ ईडी की कार्रवाइयाँ हैं,दूसरी ओर अदानी समूह जो हमारी धरती के संसाधनों पर कब्जा करने की कोशिश में लगा है : यू.डी. मिंज*
कांसाबेल । छत्तीसगढ़ प्रदेश में कांग्रेस के आर्थिक नाकेबंदी और चक्का जाम का असर जशपुर में भी देखने को मिला , कांग्रेसियों ने नेशनल हाईवे 43 को कांसाबेल चौक के पास जाम कर दिया । पूर्व विधायक एवं संसदीय सचिव श्री यू डी मिंज ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। एक तरफ ईडी की कार्रवाइयाँ हैं, जिनका इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को दबाने के लिए किया जा रहा है, और दूसरी ओर है अदानी समूह, जो हमारी धरती के संसाधनों पर कब्ज़ा करने की कोशिश में लगा है।
जब जनता से जुड़े सवालों पर सरकार मौन हो जाती है, और जब ईडी का उपयोग केवल राजनीतिक विरोधियों को डराने के लिए किया जाता है — तब यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही की निशानी बन जाती है।
छत्तीसगढ़ की पहचान केवल खनिजों से नहीं है, हमारी आत्मा जंगलों में है, नदियों में है, जैव विविधता में है। जशपुर जैसे जिले, जहां प्रकृति खुद बसती है, उन्हें आज तथाकथित विकास के नाम पर आर्थिक नाकेबंदी झेलनी पड़ रही है।
मैं पूछना चाहता हूँ — क्या यह अपराध है कि हमने जशपुर को हरित जिला घोषित करने की माँग की? क्या यह गुनाह है कि हम यहाँ कोई रेड या ऑरेंज कैटेगरी का उद्योग नहीं चाहते? नहीं, ये हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने की कोशिश है।
जब हमने साहसिक खेलों और हरित पर्यटन के ज़रिए रोज़गार लाने की योजना बनाई — तो 2.75 करोड़ की स्वीकृति के बावजूद उसे रोक दिया गया। क्यों? क्योंकि हमारी सोच सिर्फ मुनाफ़े पर नहीं, प्रकृति और पीढ़ियों की रक्षा पर आधारित थी।
उन्होंने कहा कि जशपुर की पहचान केवल खनिज संपदा नहीं है। यह भूमि अपनी जैव विविधता, आदिवासी संस्कृति और प्रकृति से गहरे जुड़ाव के लिए जानी जाती है। यह संबंध केवल भावनात्मक नहीं, आत्मिक है जिसे मुनाफे की मानसिकता से नहीं तोला जा सकता।
यू डी मिंज के अनुसार जब स्थानीय लोग सड़क पर उतरते हैं, जब राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम किया जाता है, तो उन्हें विकास विरोधी करार दिया जाता है, जबकि यह प्रतिरोध नहीं, जन चेतावनी है। यह स्पष्ट संदेश है कि अब बिना जनसहमति के कोई परियोजना स्वीकार नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा कि दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों का उपयोग राजनीतिक विरोधियों के विरुद्ध किया जा रहा है। पिछले दस वर्षों में 193 नेताओं पर कार्रवाई की गई लेकिन सजा मात्र दो मामलों में हुई। यह आंकड़े न्याय प्रक्रिया की सच्चाई को उजागर करते हैं।
यू डी मिंज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि राजनीतिक संघर्ष जनमत में लड़ा जाए, जांच एजेंसियों को राजनीतिक हथियार न बनाया जाए।
उन्होंने सवाल उठाया कि जशपुर की धरती क्या केवल मुनाफे के लिए है? क्या जनता की आवाज को जांच एजेंसियों के भय से दबाया जाएगा?
इस अवसर पर जिला प्रभारी भानुप्रताप सिंह, जिला अध्यक्ष मनोज सागर यादव, पूर्व विधायक विनय भगत, पूर्व विधायक यूडी मिंज, प्रदेश महासचिव आरती सिंह,नगरपंचायत अध्यक्ष कुनकुरी विनयशील, जिला कोशाध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल, महेश त्रिपाठी, पूर्व जिलाध्यक्ष युवा कांग्रेस रवि शर्मा, प्रदेश सचिव महिला कांग्रेस रतना पैंकरा, हंसराज अग्रवाल, कुलविंदर भाटिया, परमेश्वर यादव, सुमित शर्मा, मार्शल एक्का, परमेश्वर भगत, सहस्त्रांशु पाठक, मनमोहन भगत, हरगोविंद अग्रवाल, अरविंद साय, बुधराम वनवासी, पूनमचंद पैंकरा, एस इलियास, जिलाध्यक्ष युवा कांग्रेस अजित साय, वरिष्ठ कांग्रेसी कुलवंत सिंह भाटिया, नासिर अली, अंजना मिंज, अनिल किस्पोट्टा, जगन्नाथ गुप्ता, एवं करीब 500 की संख्या में कांग्रेस पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।