वित्तीय सुरक्षा और बेहतर रिटर्न की तलाश में अक्सर निवेशक दो पारंपरिक विकल्पों के बीच उलझ जाते हैं। एक, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और दूसरा सोना। जहां एफडी एक सुरक्षित और निश्चित ब्याज वाला विकल्प है, वहीं सोना आर्थिक अनिश्चितताओं में भी अपनी चमक बनाए रखता है। लेकिन 2025 में बदलते बाजार, बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव ने यह सवाल और भी जरूरी बना दिया है कि एफडी और सोने में से किसमें निवेश करना ज्यादा फायदेमंद है? आइए दोनों विकल्पों को यह समझते हैं, ताकि आपको निवेश से जुड़े फैसले लेने में कुछ मदद मिल सके।
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क्या है एफडी निवेश
फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी एक ऐसा वित्तीय साधन है जिसमें आप अपनी रकम तय समय के लिए निश्चित ब्याज दर पर जमा करते हैं। जब एफडी की अवधि पूरी हो जाती है, तो आपको मूलधन के साथ तय ब्याज भी एकमुश्त मिलता है। आप चाहें तो ब्याज को मासिक, तिमाही या एफडी की परिपक्वता पर भी प्राप्त कर सकते हैं। एफडी को सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है क्योंकि यह बाजार की उठापटक से प्रभावित नहीं होता और तय रिटर्न देता है।
सोने में निवेश
भारत में सोने में निवेश को शुभ माना जाता है और लोग अक्सर दिवाली, धनतेरस या अक्षय तृतीया जैसे अवसरों पर सोना खरीदते हैं। निवेश विशेषज्ञों के मुताबिक, सोने में निवेश न सिर्फ अच्छे रिटर्न की संभावना देता है बल्कि आपके निवेश पोर्टफोलियो के जोखिम को भी संतुलित करता है। आज के समय में सोने में निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं- जैसे गोल्ड फंड्स, फंड ऑफ फंड्स, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स और गोल्ड बॉन्ड्स आदि।
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रिटर्न की संभावना
bankbazaar के मुताबिक, सोना लंबी अवधि में हाई रिटर्न देने वाला निवेश रहा है, खासतौर पर जब मुद्रास्फीति बढ़ रही हो। वहीं, एफडी में रिटर्न निश्चित और पूर्वनिर्धारित होते हैं, जो निवेश के समय तय किए जाते हैं। एफडी का बड़ा लाभ यह है कि इसमें जमा राशि पर जोखिम रहित रिटर्न मिलता है। वरिष्ठ नागरिकों को उच्च ब्याज दर का अतिरिक्त लाभ मिलता है।
जोखिम का स्तर
सोने की कीमतें कम अवधि में ऊपर-नीचे हो सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि के रूप में यह स्थिर और भरोसेमंद रिटर्न देता है। यह महंगाई और मुद्रा में गिरावट से बचाव का अच्छा माध्यम है। इसके उलट, एफडी में कोई बाजार जोखिम नहीं होता। रिटर्न पूरी तरह से सुरक्षित और समयावधि पर आधारित होता है, जितनी लंबी अवधि, उतना अधिक रिटर्न।
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लोन की सुविधा
सोने और एफडी, दोनों पर ही आप कुल मूल्य का लगभग 80% तक लोन हासिल कर सकते हैं। बैंक और एनबीएफसी दोनों ही इस सुविधा की पेशकश करते हैं। हालांकि, इन पर ब्याज दरें पर्सनल लोन की तुलना में थोड़ी अधिक होती हैं।
तरलता यानी लिक्विडिटी
सोना अत्यधिक लिक्विड निवेश माना जाता है। आप इसे गोल्ड ईटीएफ, डिजिटल गोल्ड या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसे कई तरीकों से खरीद सकते हैं। इसकी निकासी बाजार मूल्य पर निर्भर करती है। एफडी में भी लिक्विडिटी होती है, लेकिन पूर्वनिर्धारित शर्तों के साथ होती है। ज्यादातर मामलों में समय से पहले एफडी तोड़ने पर पेनल्टी लगती है।
निवेश की अवधि
सोने में निवेश की कोई तय अवधि नहीं होती। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस माध्यम से निवेश किया है (जैसे गोल्ड ईटीएफ या फिजिकल गोल्ड)। एफडी आम तौर पर 7 दिन से 10 साल तक की अवधि के लिए होती है, और इसकी अवधि की लचीलता बैंक या संस्था की नीति पर निर्भर करती है।
टैक्स व्यवस्था
गोल्ड निवेश से मिलने वाला लाभ कैपिटल गेन्स टैक्स के तहत आता है, और इसमें इंडेक्सेशन बेनिफिट का फायदा उठाया जा सकता है। जबकि एफडी से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स योग्य होता है, और उस पर टीडीएस की कटौती होती है, जो आपकी टैक्स योग्य इनकम में जुड़ता है।
आय पैदा करने की क्षमता
सोना खुद कोई नियमित इनकम जेनरेट नहीं करता है, लेकिन इसकी कीमत में लंबी अवधि आपके लिए संपत्ति बना सकती है। फडी में आप मासिक या तिमाही ब्याज भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं, जिससे आपको एक स्थिर आय का स्रोत मिल सकता है।
तो कुल मिलाकर सोना और एफडी, दोनों ही कम जोखिम वाले निवेश विकल्प हैं और गारंटीड रिटर्न देते हैं। सोने में निवेश करने से हाई रिटर्न के साथ-साथ इसे आसानी से खरीदने और बेचने की सुविधा भी मिलती है। अगर आप समय के साथ अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं और टैक्स बचाना चाहते हैं, तो आपको सोने में निवेश करना चाहिए। एफडी कम लेकिन स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होते। इसलिए आप अपनी नकदी जरूरतों, वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश करें।