दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर लगे बैन को लेकर अब एक अहम जानकारी सामने आई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) (सीएक्यूएम) ने खुद स्वीकार किया है कि इस फैसले के पीछे किसी भी तरह की वैज्ञानिक शोध या अध्ययन नहीं किया गया है। ये जानकारी पर्यावरण कार्यकर्ता अमित गुप्ता द्वारा दायर की गई एक आरटीआई के जवाब में सामने आई।
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दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर लगे बैन को लेकर अब एक अहम जानकारी सामने आई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) (सीएक्यूएम) ने खुद स्वीकार किया है कि इस फैसले के पीछे किसी भी तरह की वैज्ञानिक शोध या अध्ययन नहीं किया गया है। ये जानकारी पर्यावरण कार्यकर्ता अमित गुप्ता द्वारा दायर की गई एक आरटीआई के जवाब में सामने आई।
दिल्ली में फिलहाल 31 अक्तूबर तक बैन पर रोक
हाल ही में सीएक्यूएम ने एक और आदेश में कहा था कि 1 जुलाई से जो फ्यूल स्टेशन पर पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल या डीजल न देने का निर्देश था, उसे 31 अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। दिल्ली सरकार ने इसे लागू करने में “ऑपरेशनल और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी दिक्कतें” बताते हुए वक्त मांगा था।
पुरानी गाड़ियों की संख्या चौंकाने वाली
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में इस समय लगभग 62 लाख पुरानी गाड़ियां हैं, जिनमें से करीब 41 लाख दोपहिया वाहन हैं। पूरे एनसीआर क्षेत्र में ऐसे वाहनों की संख्या 44 लाख के आसपास है, जिनमें से अधिकतर गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और सोनीपत जैसे शहरों में हैं।
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नई तकनीक ANPR के जरिए पहचान की कोशिश
सीएक्यूएम का प्लान था कि इन पुरानी गाड़ियों की पहचान ANPR (ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन) कैमरों के जरिए की जाए, ताकि उन्हें फ्यूल स्टेशन से पेट्रोल-डीजल देने से रोका जा सके। ये सिस्टम गाड़ी की नंबर प्लेट को पढ़कर उसे वाहन डाटाबेस से मिलाता है। लेकिन दिल्ली सरकार ने बताया कि यह सिस्टम अभी तकनीकी खामियों से जूझ रहा है। जैसे सॉफ्टवेयर की दिक्कतें, कैमरों की गलत जगहों पर फिटिंग, सेंसर खराब होना और आस-पास के राज्यों के डाटाबेस से सही तरीके से कनेक्शन न होना।
कोर्ट की सख्त नजर में पुरानी गाड़ियां
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी कई बार दिल्ली-एनसीआर में पुरानी और प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को हटाने में हो रही देरी को लेकर अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं। अब जबकि खुद सरकार ये मान रही है कि सिस्टम में खामियां हैं और खुद सीएक्यूएम ये मानता है कि कोई रिसर्च नहीं हुई, तो यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या सिर्फ पुराने कोर्ट ऑर्डर के आधार पर करोड़ों लोगों की गाड़ियों पर पाबंदी लगाना सही है?
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दिल्ली सरकार ने फिर मांगा पुनर्विचार
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका भी दायर की है, जिसमें 2018 में लगाए गए इस प्रतिबंध पर फिर से विचार करने की मांग की गई है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में कोर्ट और सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।