पूरे देश में जन्माष्टमी की धूम है, मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लगी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं भारत के अलावा पाकिस्तान में भी जन्माष्टमी मनाई जाती है। वहां भी भगवान कृष्ण का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसका नाम कृष्ण मंदिर रावलपिंडी है। यह रावलपिंडी का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है और यह मंदिर साल 1897 में बनाया गया था। इसे कांची मल और उजागर मल राम पांचाल ने बनवाया था, विभाजन के बाद इसे कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन बाद में फिर से खोल दिया गया था। पाकिस्तान में अमरकोट, कराची, लाहौर और क्वेटा जैसे शहरों में भी जन्माष्टमी पर मंदिर सजाए जाते हैं।
पाकिस्तान में कितने हैं कृष्ण मंदिर
जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जिसे दुनियाभर में हिंदू धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं। देश के अलावा विदेश में रहने वाले लोग भी पूरी भारतीय परंपरा के साथ जन्माष्टमी का त्योहार बड़े जोश के साथ मनाते हैं। पाकिस्तान की बात करें तो यहां रावलपिंडी स्थित हिंदू मंदिर में 1980 के दशक तक तो पाकिस्तान के इस्लामाबाद में रहने वाले भारतीय राजदूत भी श्रीकृष्ण के इस मंदिर में पूजा करने के लिए आते थे।
रावलपिंडी के बाद लाहौर की बात करें तो अभी भी वहां 20-22 मंदिर स्थित हैं, लेकिन पूजा सिर्फ दो ही मंदिरों में की जाती है। यहां का कृष्ण मंदिर केसरपुरा में मौजूद है, यहां जन्माष्टमी पर विधिवत पूजा की जाती है। इसके बाद बात कर लें एबटाबाद की तो यहां भी श्रीकृष्ण का मशहूर मंदिर है, लेकिन इस मंदिर में पूजा-पाठ नहीं होती है, क्योंकि मंदिर की हालत खस्ता है। इसके बाद नाम आता है कराची के स्वामीनारायण मंदिर का, इस मंदिर में हरे कृष्ण महाराज और राधा कृष्णदेव की मूर्तियां हैं। इसके अलावा क्वेटा में इस्कॉन मंदिर है, यह मंदिर भी बहुत मशहूर है।
बता दें कि दुनिया भर में भगवान कृष्ण के अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है। इन्हें भक्त या वैष्णव भी कहा जाता है, जो कृष्ण या उनके अन्य रूपों जैसे राम या नारायण के प्रति समर्पित हैं। Krishna.com के अनुसार, दुनिया में लगभग 56 करोड़ वैष्णव हैं। इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ) जैसे संगठनों ने भी कृष्ण भक्ति को दुनियाभर में फैलाया है, खासकर पश्चिमी देशों में।
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किन देशों में है कृष्ण मंदिर
वैष्णव धर्म में कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इस्कॉन के दुनिया भर में लाखों अनुयायी हैं। 1960 के दशक के बाद, इस्कॉन जैसे संगठनों ने पश्चिमी देशों में कृष्ण भक्ति को लोकप्रिय बनाया, हालांकि 1980 के दशक के बाद से उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में गिरावट आई है। सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में एक सुंदर इस्कॉन मंदिर है, और दुनिया भर में कृष्ण मंदिर मौजूद हैं। कृष्ण की भक्ति भारत और दुनिया भर में विभिन्न रूपों में मौजूद है, और उनके अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
इस्कॉन (ISKCON) द्वारा संचालित कुछ प्रमुख मंदिर
- राधा माधव धाम (अमेरिका), न्यू वृंदावन (वेस्ट वर्जीनिया, अमेरिका), इस्कॉन मंदिर (लंदन), और पेरिस में इस्कॉन मंदिर
- इस्कॉन के अमेरिका में कई मंदिर हैं, जैसे कि राधा माधव धाम, न्यू वृंदावन, और डलास में राधा कलाचंदजी मंदिर
- कनाडा में भी 12 इस्कॉन मंदिर हैं, जिनमें वैदिक शिक्षा केंद्र और इको विलेज शामिल हैं
- मेक्सिको में 5 इस्कॉन मंदिर हैं
- दक्षिण अमेरिका में, विशेष रूप से अर्जेंटीना और ब्राजील में, 60 से अधिक इस्कॉन मंदिर और कृषि समुदाय हैं
- यूरोप में, विशेष रूप से स्पेन, इटली, फ्रांस, और बेल्जियम में कई कृष्ण मंदिर हैं। रूस में भी 30 से अधिक इस्कॉन केंद्र हैं
- ऑस्ट्रेलिया में, सिडनी के पास न्यू साउथ वेल्स पहाड़ों पर भगवान मुरुगन का मंदिर है
- मलेशिया में श्री सुब्रमण्यम देवस्थान मंदिर है, जो कुआलालंपुर से 13 किलोमीटर दूर है
- इंडोनेशिया में प्रम्बानन मंदिर है, जो सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है
- घाना में एक अफ्रीकी हिंदू मठ है, जहां अफ्रीकी भक्त कृष्ण की पूजा करते हैं
- इंग्लैंड में श्री वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर है, जिसमें भगवान विष्णु की 12 फीट ऊंची प्रतिमा है
- फिजी, बांग्लादेश, नेपाल, सिंगापुर, और बर्मा जैसे देशों में भी कृष्ण मंदिर हैं, जहां जन्माष्टमी मनाई जाती है
भारत में कृष्ण मंदिर
- जगन्नाथ मंदिर, ओडिशा
- प्रेम मंदिर, वृंदावन
- इस्कॉन मंदिर, वृंदावन
- द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा
- श्रीनाथ जी मंदिर, नाथद्वारा राजस्थान
- इस्कॉन मंदिर, बैंगलोर
- श्री रंछोद्रीजी महाराज मंदिर, गुजरात
- अरुलमिगु श्री पार्थसारथी स्वामी मंदिर, चेन्नई
- बालकृष्ण मंदिर, हंपी कर्नाटक
- उडुपी श्री कृष्ण मठ, कर्नाटक