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रायपुर, 11 सितंबर — छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण विकास और सुशासन को एक नई दिशा देते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए क्यूआर कोड और जीआईएस तकनीक की शुरुआत की है। अब राज्य की हर ग्राम पंचायत को एक विशेष क्यूआर कोड प्रदान किया गया है, जिससे गांव के लोग मोबाइल से स्कैन कर अपने क्षेत्र में हुए विकास कार्यों की पूरी जानकारी पा सकेंगे।
यह पहल पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और आईटी विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह के मार्गदर्शन में शुरू की गई है।
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अब विकास कार्यों की जानकारी एक स्कैन में
ग्राम पंचायतों में क्यूआर कोड पंचायत भवन और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर चिपकाए गए हैं। इन क्यूआर कोड को कोई भी ग्रामीण अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर बीते तीन वर्षों में पंचायत क्षेत्र में किए गए मनरेगा कार्यों, स्वीकृत बजट, और खर्च का विवरण देख सकता है।
मनरेगा आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा के अनुसार, यह विचार बोर्डरूम में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर से आया। ग्रामीणों की डिजिटल भुगतान में क्यूआर कोड की पहले से समझ और विश्वास को देखते हुए प्रशासन ने इसे सुशासन के लिए एक सशक्त उपकरण के रूप में अपनाया।
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अब गांवों तक पहुंची पारदर्शिता
इस पहल से पहले मनरेगा का डेटा जिला कार्यालय या वेबसाइट के ज़रिए तकनीकी भाषा में ही उपलब्ध था। अब यह स्थानीय भाषा में, मोबाइल स्कैन के माध्यम से ग्रामीणों की उंगलियों पर उपलब्ध है। ग्रामीणों को यह जानकारी समझाने और दिखाने में ग्राम रोजगार सहायक और स्वयं सहायता समूह (SHG) की भूमिका भी अहम रही है।
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GIS तकनीक और सैटेलाइट मैपिंग से श्रम बजट
राज्य सरकार ने योजना निर्माण के लिए ‘युक्तिधारा पोर्टल’ के माध्यम से GIS तकनीक का उपयोग भी शुरू किया है। अब सैटेलाइट मैपिंग के आधार पर पंचायतों के श्रम बजट तैयार किए जा रहे हैं। ये बजट अक्टूबर में ग्राम सभाओं में अनुमोदन के लिए प्रस्तुत होंगे और बाद में क्यूआर कोड से भी उपलब्ध रहेंगे।
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
- प्रत्येक पंचायत के लिए एक विशिष्ट क्यूआर कोड तैयार किया गया है।
- यह कोड सार्वजनिक स्थानों पर चिपकाया जाता है।
- ग्रामीण स्मार्टफोन से इसे स्कैन कर सकते हैं।
- मनरेगा परियोजनाओं की सूची, बजट, खर्च, और प्रगति की जानकारी तुरंत मिलती है।
- जिनके पास डिजिटल उपकरण नहीं हैं, उनके लिए विजुअल डिस्प्ले और मैन्युअल गाइडेंस की व्यवस्था है।
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कर्मचारियों को प्रशिक्षण, पंचायत दीवारों पर श्रम बजट
नई तकनीक के बेहतर उपयोग के लिए पंचायत कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। श्रम बजट को अंतिम रूप देने के बाद पंचायत दीवारों पर इसे अंकित किया जाएगा, ताकि हर नागरिक जान सके कि अगले वर्ष किन कार्यों को स्वीकृति मिली है।
छत्तीसगढ़ की यह तकनीकी पहल न केवल मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करती है, बल्कि यह ग्रामीणों को अपने अधिकारों और संसाधनों की जानकारी भी देती है। यह डिजिटल कदम विकास को सीधे गांवों तक पहुंचाने की दिशा में एक मिसाल है, और आने वाले समय में देश के अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बन सकता है।