नई दिल्ली, 14 सितंबर:
हर साल 14 सितंबर को पूरे देश में हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत की सांस्कृतिक और भाषाई एकता को प्रकट करने वाला खास अवसर होता है। दरअसल, 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया था। इसी ऐतिहासिक निर्णय की स्मृति में, 1953 से इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।
हिन्दी भाषा न केवल हमारी संस्कृति और पहचान का प्रतीक है, बल्कि देश के एक बड़े हिस्से में यह संप्रेषण का मुख्य माध्यम भी है। यह दिवस हमें अपनी मातृभाषा को अपनाने, संरक्षित करने और सम्मान देने की प्रेरणा देता है।
हिन्दी से जुड़ी कुछ खास जानकारियाँ:
- हिन्दी की वर्णमाला में कुल 52 अक्षर होते हैं, जिनमें 13 स्वर और 39 व्यंजन शामिल हैं।
- यह भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और इसे ‘खड़ी बोली’ भी कहा जाता है।
- हिन्दी साहित्य के छायावादी युग को अत्यंत समृद्ध माना जाता है। इसके चार प्रमुख स्तंभ हैं – जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा।
- हिन्दी के ‘राष्ट्रकवि’ के रूप में रामधारी सिंह दिनकर को जाना जाता है।
- भारत की लगभग 44% जनसंख्या हिन्दी को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलती है (जनगणना 2011 के अनुसार)।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को आमतौर पर ‘हिन्दी बेल्ट’ कहा जाता है।
हिन्दी दिवस पर क्विज़: क्या आप जानते हैं जवाब?
- हिन्दी दिवस कब मनाया जाता है?
☑️ 14 सितंबर - हिन्दी वर्णमाला में कुल कितने अक्षर होते हैं?
☑️ 52 अक्षर – 13 स्वर और 39 व्यंजन - 14 सितंबर को हिन्दी दिवस क्यों मनाते हैं?
☑️ क्योंकि इसी दिन हिन्दी को राजभाषा की मान्यता मिली थी - हिन्दी को राजभाषा का दर्जा कब मिला?
☑️ 14 सितंबर 1949 - हिन्दी किस लिपि में लिखी जाती है?
☑️ देवनागरी लिपि - पहली बार हिन्दी दिवस कब मनाया गया?
☑️ 1953 में - हिन्दी के राष्ट्रकवि कौन हैं?
☑️ रामधारी सिंह दिनकर - हिन्दी का पर्यायवाची शब्द क्या है?
☑️ खड़ी बोली - भारत में कितने प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते हैं?
☑️ लगभग 44% - कौन-कौन से राज्य ‘हिन्दी बेल्ट’ में आते हैं?
☑️ यूपी, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली
हिन्दी दिवस केवल एक भाषा का उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और भाषाई गौरव का प्रतीक है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि अपनी मातृभाषा को अपनाना, उसका सम्मान करना और नई पीढ़ियों तक पहुँचाना कितना जरूरी है। हिन्दी का प्रचार-प्रसार ही इस दिवस का असली उद्देश्य है।