Artificial Intelligence: Zoho कॉरपोरेशन के को-फाउंडर और चीफ साइंटिस्ट श्रीधर वेम्बू ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को लेकर टेक प्रोफेशनल्स को सावधान किया है. उनका कहना है कि सही तरह से इस्तेमाल करने पर AI सीखने और काम की गति बढ़ाने में मददगार है लेकिन अगर इस पर पूरी तरह निर्भर हो जाएं या लापरवाही से इसका इस्तेमाल करें तो यह प्रोडक्टिविटी को घटा भी सकता है.
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AI को इंसानों की जगह देना सही नहीं
वेम्बू के मुताबिक “AI प्रोडक्ट एक्सपीरियंस को बेहतर बना सकता है, जैसे X में Grok करता है. लेकिन मैं इससे नया कंटेंट तैयार करने का पक्षधर नहीं हूं. कस्टमर सपोर्ट में यह एजेंट्स को तेज़ी से काम करने में मदद करता है लेकिन AI को इंसानों की जगह देना सही नहीं है. और सबसे गलत है बिना बताए AI द्वारा लिखा गया टेक्स्ट ग्राहक को भेजना.”
अंधा भरोसा न करें
वेम्बू के अनुसार, AI ग्राहक सेवा को तेज़ बना सकता है लेकिन इसे इंसानों की पूरी तरह जगह नहीं लेनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि AI से लिखा गया कोड सीधे इस्तेमाल करना खतरनाक है. इसे कड़े कंप्लायंस, प्राइवेसी और सिक्योरिटी रिव्यू से गुजरना ज़रूरी है. अगर यह प्रोसेस छोड़ दी जाए तो डेवलपर्स गैर-प्रोफेशनल तरीके से काम कर रहे होंगे.
उनके मुताबिक, ये जांचें समय लेने वाली होती हैं और कई बार AI द्वारा दिया गया समय बचाने का फायदा भी खत्म कर देती हैं. कुछ मामलों में तो AI डेवलपमेंट की गति को धीमा भी कर सकता है.
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सीखने का टूल, इंसान का विकल्प नहीं
वेम्बू ने साफ कहा कि Zoho अपने प्रोग्रामर्स को AI का इस्तेमाल सीखने और समस्याओं को हल करने के लिए प्रोत्साहित करता है लेकिन इंसानी निर्णय क्षमता को बदलने के लिए नहीं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि कंपनी AI को लेकर लगातार प्रयोग कर रही है और जैसे-जैसे वास्तविक अनुभव सामने आएंगे, रणनीति में बदलाव भी होगा.