नई दिल्ली बीमा क्षेत्र के नियामक प्राधिकरण आईआरडीएआई ने वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत दी है। अब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों के वार्षिक प्रीमियम में बीमा कंपनियां मनमानी बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगी। नए निर्देशों के अनुसार, प्रीमियम में हर साल अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही वृद्धि की जा सकेगी।
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यह फैसला सेवानिवृत्त कर्मचारियों और बुजुर्ग बीमाधारकों के लिए बेहद राहतभरा है। निश्चित आय पर निर्भर रहने वाले लोगों के लिए अब बीमा पॉलिसी जारी रखना आसान होगा। इससे अनियंत्रित प्रीमियम बढ़ोतरी पर रोक लगेगी और पॉलिसी लैप्स होने का खतरा भी घटेगा। साथ ही नो-क्लेम बोनस और वेटिंग पीरियड जैसे लाभ भी सुरक्षित रहेंगे।
आईआरडीएआई ने क्लेम सेटलमेंट प्रक्रिया को भी समयबद्ध कर दिया है। अब आपात स्थिति में कैशलेस क्लेम पर फैसला एक घंटे में लेना होगा। अस्पताल से डिस्चार्ज की अंतिम मंजूरी तीन घंटे में देनी होगी। रीइंबर्समेंट क्लेम तीस दिनों में निपटाना अनिवार्य होगा और यदि जांच की जरूरत पड़ी तो यह अवधि पैंतालीस दिन तक बढ़ सकती है। निर्धारित समयसीमा का पालन न करने पर कंपनी को बीमाधारक को ब्याज देना होगा।
मैटेरियल चेंज क्लॉज से जुड़ी अस्पष्टता भी खत्म कर दी गई है। बीमा वर्ष के बीच नई बीमारी आने पर अब नवीनीकरण के वक्त प्रीमियम नहीं बढ़ेगा और न ही सम इंश्योर्ड घटाया जाएगा। किसी भी बदलाव के लिए नियामक की पूर्व मंजूरी जरूरी होगी।
आईआरडीएआई ने स्वास्थ्य बीमा खरीदने की अधिकतम आयु सीमा भी समाप्त कर दी है। अब कोई भी वयस्क व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकता है। साथ ही जीवनभर नवीनीकरण का अधिकार भी बरकरार रहेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय भारत की तेजी से बढ़ती वरिष्ठ आबादी के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। इससे बुजुर्गों की चिकित्सा सुरक्षा मजबूत होगी और बीमा क्षेत्र में उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा।

