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भारतीय रेलवे की टिकट बुकिंग प्रणाली अब पूरी तरह आधुनिक रूप लेने जा रही है. अगले साल से रेलवे की नई मॉडर्न पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (MPRS) लागू होगी, जिससे टिकट बुकिंग की प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और यात्री-केंद्रित बन जाएगी. यह बदलाव लगभग 30 साल बाद हो रहा है, क्योंकि वर्तमान आरक्षण प्रणाली 1995 से चली आ रही है.
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अब तक जहां एक मिनट में केवल 25,000 टिकट बुक किए जा सकते थे, वहीं नई व्यवस्था में यह क्षमता बढ़कर सवा लाख टिकट प्रति मिनट हो जाएगी. इससे रेलवे की वेबसाइट और ऐप के क्रैश होने की समस्या खत्म हो जाएगी और टिकट बुकिंग पहले से कहीं अधिक सुगम होगी.
नई तकनीक पर आधारित होगा सिस्टम
नई टिकटिंग प्रणाली को रेल सूचना केंद्र (CRIS) द्वारा विकसित किया जा रहा है. वर्तमान प्रणाली इटेनियम सर्वर और ओपन वीएमएस पर आधारित है, जो अब तकनीकी रूप से पुराना हो चुका है. नई व्यवस्था को क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म पर विकसित किया जा रहा है, जिससे सर्वर लोड संतुलित रहेगा और प्रणाली भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार होगी.
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तत्काल टिकट लेने वालों को सबसे अधिक फायदा
नई प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ तत्काल टिकट बुकिंग करने वाले यात्रियों को मिलेगा. अब वेबसाइट पांच गुना तेज चलेगी, लॉगिन आधार से सत्यापित होगा और भुगतान प्रक्रिया भी तेज व सुरक्षित होगी. टिकट खुलते ही वेबसाइट के स्लो या हैंग होने की समस्या अब नहीं रहेगी, जिससे कन्फर्म टिकट मिलने की संभावना पहले की तुलना में कई गुना बढ़ जाएगी.
पूछताछ क्षमता 10 गुना तक बढ़ेगी
वर्तमान प्रणाली में एक मिनट में लगभग चार लाख पीएनआर या सीट उपलब्धता की पूछताछ हो पाती है. नई प्रणाली में यह क्षमता 40 लाख पूछताछ प्रति मिनट तक पहुंच जाएगी. इससे यात्रियों को ट्रेन की सीट स्थिति, किराया, टाइमिंग जैसी जानकारी तुरंत और बिना किसी रुकावट के मिलेगी.
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रेलवे के डिजिटल भविष्य की दिशा में बड़ा कदम
अधिकारियों के मुताबिक, यह बदलाव भारतीय रेलवे के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को नए युग के अनुरूप बनाएगा. नई प्रणाली न सिर्फ टिकट बुकिंग को तेज और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि करोड़ों यात्रियों को बेहतर अनुभव भी देगी. रेलवे की यह पहल आने वाले वर्षों में देश की सबसे बड़ी स्मार्ट टिकटिंग व्यवस्था के रूप में सामने आएगी.
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