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नई दिल्ली देश की अग्रणी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने झारखंड के पकरी बरवाडीह कोयला खदान में देश के पहले कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) इंजेक्शन बोरवेल की ड्रिलिंग शुरू कर दी है। यह परियोजना भारत के कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS) रोडमैप और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन हासिल करने के लक्ष्य की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
एनटीपीसी की अनुसंधान शाखा एनईटीआरए (NTPC Energy Technology Research Alliance) के नेतृत्व में शुरू की गई इस परियोजना के तहत लगभग 1,200 मीटर गहराई तक बोरवेल ड्रिल किया जा रहा है। इसका उद्देश्य कार्बन डाइऑक्साइड को सुरक्षित रूप से जमीन के भीतर संग्रहित करने के लिए आवश्यक भूगर्भीय और भंडारण से जुड़ा डेटा एकत्र करना है।
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कंपनी ने अपने बयान में कहा कि इस ड्रिलिंग से देश की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक नई दिशा मिलेगी। परियोजना के दौरान कोर सैंपलिंग, मीथेन और पानी के नमूने लेना, भूकंपीय निगरानी और सिमुलेशन अध्ययन किए जा रहे हैं ताकि यह आकलन किया जा सके कि जमीन की चट्टानें कार्बन डाइऑक्साइड को स्थायी रूप से संग्रहित करने में कितनी सक्षम हैं।
यह भारत की पहली ऐसी परियोजना है, जो स्वदेशी कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीक विकसित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए व्यवहारिक समाधान तैयार करना है।
एनटीपीसी लिमिटेड फिलहाल देश की कुल बिजली जरूरतों का लगभग 25 प्रतिशत उत्पादन करती है। कंपनी की कुल स्थापित क्षमता 84 गीगावॉट से अधिक है, जबकि 30.90 गीगावॉट की अतिरिक्त क्षमता निर्माणाधीन है, जिसमें 13.3 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएं शामिल हैं। कंपनी का लक्ष्य 2032 तक 60 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करना है।
यह परियोजना न केवल एनटीपीसी के हरित ऊर्जा प्रयासों को गति देगी, बल्कि भारत को स्वच्छ, टिकाऊ और नेट-जीरो भविष्य की दिशा में एक मजबूत आधार भी प्रदान करेगी।

